पुलिस के हस्तक्षेप से मामला शांत हुआ. पुलिस ने बीएमओएच डॉ प्रदीप बारूई को भी परिजनों से घेराव से बाहर निकाला. बाद में डॉ बारूई ने आनन-फानन में नवजात को मालदा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल रेफर कर दिया. उन्होंने चिकित्सा में लापरवाही की बात मान ली है. डॉ बारूई का कहना है कि नवजात को गलत स्लाइन चढ़ाने से ही उसकी तबीयत बिगड़ गई. उन्होंने पूरे मामले की जांच की बात भी कही. पुलिस तथा अस्पताल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, चांचल ग्राम पंचायत के सीतलपुर की रहने वाली हसीना बीबी को प्रसव पीड़ा के साथ 16 जनवरी को अस्पताल में भरती कराया गया था. उसी दिन रात में उन्होंने एक कन्या को जन्म दिया. 17 जनवरी की रात नवजात की तबीयत बिगड़ गई. तब डॉक्टरों ने नवजात को स्लाइन दिया.
डॉक्टरों ने इंजेक्शन भी लगाया. उसके बाद भी बच्ची की स्थिति में सुधार नहीं हुई. कई दिनों तक चिकित्सा चलने के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. घर ले जाये जाने के बाद भी बच्ची की तबीयत में कोई खास सुधार नहीं हुआ. बच्ची के दाहिने हाथ में समस्या देखी गई. बच्ची को फिर से डॉक्टर के पास ले जाया गया. कर्त्तव्यरत चिकित्सक डॉ सोमेन साव ने कहा कि बच्ची के दांये हाथ में इंफेक्शन हो गया है. उसका हाथ काटना पड़ेगा या फिर जहां स्लाइन लगाया गया था, वहां से मांस को काट कर प्लास्टिक सर्जरी करनी पड़ेगी.
इतना सुनते ही परिजनों का गुस्सा भड़क गया और उन लोगों ने अस्पताल में तोड़फोड़ शुरू कर दी. बीएमओएच का भी काफी समय तक घेराव किया गया. नवजात बच्ची के पिता रजीकुल इस्लाम पेशे से किसान हैं. उनका कहना है कि बच्ची के दाहिने हाथ में स्लाइन लगाने तथा इंजेक्शन लगाने का काम इसी अस्पताल के डॉक्टरों ने किया था. अब यदि बच्ची के दाहिने हाथ को काटने की नौबत आयी है तो इससे साफ है कि चिकित्सा में लापरवाही की गई. डॉक्टरों ने बताया है कि बच्ची की चिकित्सा में काफी पैसे खर्च होंगे. वह पेशे से किसान हैं.
इतना पैसा भला वह कहां से लायेंगे. इस बीच, डॉ सोमेन साव ने चिकित्सा में लापरवाही की बात से इंकार कर दिया है. दूसरी तरफ बीएमओएच डॉ बारूई का कहना है कि प्राथमिक जांच से ऐसा लगता है कि स्लाइन अथवा इंजेक्शन देने में कोई गड़बड़ी हुई है. नवजात के परिजनों ने इस मामले में उनसे लिखित शिकायत की है और उन्होंने जांच के आदेश दे दिये हैं. जांच में यदि कोई दोषी पाया गया, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने अस्पताल में तोड़फोड़ की घटना को गलत बताया. चांचल के एसडीपीओ राणा मुखर्जी का कहना है कि एक नवजात की चिकित्सा में लापरवाही के आरोप को लेकर अस्पताल में गड़बड़ी हुई थी. पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया है. पुलिस भी इस मामले की जांच कर रही है.