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अवैध पटाखा बिक्री से दीनबाजार पर मंडरा रहा खतरा

अग्निकांड की आशंका को लेकर डरे हुए हैं स्थानीय व्यवसायी जलपाईगुड़ी : जलपाईगुड़ी पुलिस तथा नगरपालिका की अनुमति के बगैर ही पूरे शहर में प्रतिबंधित पटाखों की जोरदार बिक्री हो रही है. अवैध रूप से बिक रहे इन पटाखों पर रोक लगाने में पुलिस उदासीनता बरत रही है. हालांकि पुलिस का कहना है कि शीघ्र […]

अग्निकांड की आशंका को लेकर डरे हुए हैं स्थानीय व्यवसायी
जलपाईगुड़ी : जलपाईगुड़ी पुलिस तथा नगरपालिका की अनुमति के बगैर ही पूरे शहर में प्रतिबंधित पटाखों की जोरदार बिक्री हो रही है. अवैध रूप से बिक रहे इन पटाखों पर रोक लगाने में पुलिस उदासीनता बरत रही है. हालांकि पुलिस का कहना है कि शीघ्र ही ऐसे पटाखे बेचनेवालों के खिलाफ अभियान शुरू कर उनकी धर-पकड़ की जायेगी. यहां उल्लेखनीय है कि पटाखे की वजह से जलपाईगुड़ी में अग्निकांड की कई घटनाएं हो चुकी हैं.
पिछले वर्ष सात मई को अवैध पटाखों में आग लगने की वजह से सिर्फ जलपाईगुड़ी ही नहीं, बल्कि उत्तर बंगाल का सबसे पुराना बाजार दीनबाजार जलकर खाक हो गया था. इस भयावह अग्निकांड में कुल 173 दुकानें जल गयी थीं. तब बताया गया था कि इस बाजार की कई दुकानों में अवैध रूप से रखे गये पटाखों की वजह से ही अग्निकांड ने भयानक रूप धारण कर लिया था. उस घटना के बाद से प्रशासन ने ऐसे पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने के दावे किये, लेकिन वास्तविक स्थिति इससे बिल्कुल उलट है. स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन और पुलिस की नाक के नीचे अवैध रूप से खतरनाक पटाखों की बिक्री हो रही है. जलपाईगुड़ी जिला व्यवसायी समिति के सहसचिव शांतनु बोस का कहना है कि दीनबाजार में लगी भयावह आग की घटना को अभी तक लोग नहीं भूल पाये हैं. जांच में यह स्पष्ट हो गया था कि पटाखे की वजह से ही इतनी भयावह आग लगी थी.
तब प्रशासन ने इस प्रकार की घटना को रोकने के लिए कई दावे किये थे. आज स्थिति यह है कि दीनबाजार में ही एक बार फिर से कई दुकानों में पटाखों की बिक्री शुरू हो गयी है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष अवैध रूप से पटाखों की बिक्री करनेवाली दुकानें तो जलकर राख हुईं ही, साथ ही इसकी कीमत अन्य दुकानदारों को भी चुकानी पड़ी. स्टेशनरी, गहने, प्लास्टिक आदि की दुकानें खाक हो गयी थीं. श्री बोस ने कहा कि वह खुद भी दीनबाजार इलाके में अवैध पटाखों की बिक्री को लेकर काफी चिंतित हैं. उन्होंने ऐसे कारोबारियों को सावधान कर दिया है.
दीनबाजार इलाके में पटाखे बेचने की जितनी भी दुकानें हैं उनमें से किसी के पास भी नगरपालिका का ट्रेड लाइसेंस नहीं है. इस मामले में उन्होंने प्रशासन को ही आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि प्रशासन और पुलिस को पटाखे की बिक्री की पूरी जानकारी है. उसके बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है. अवैध पटाखों की बिक्री की वजह से आग लगने की आशंका है और इस बाजार में कारोबार कर रहे अन्य व्यवसायी काफी आतंकित रहते हैं. इसके साथ ही श्री बोस ने अग्निकांड से क्षतिग्रस्त सभी दुकानों को यथाशीघ्र बनाने तथा इसे व्यवसायियों को सौंप देने की मांग की है.
उनका कहना है कि अग्निकांड की घटना के बाद सभी दुकानें बन कर तैयार नहीं हुई हैं. दीनबाजार इलाके में व्यवसायी अस्थायी दुकान बना कर अपनी दुकानें चला रहे हैं. सिलीगुड़ी तथा कोलकाता आदि स्थानों पर पटाखा बिक्री के लिए एक विशेष स्थान का निर्धारण कर दिया गया है.
इसी तरह की व्यवस्था उन्होंने जलपाईगुड़ी में भी करने की मांग की. उन्होंने कहा कि यदि किसी दूसरे स्थान पर ऐसी दुकानें लगायी जाती हैं तो दीनबाजार के पटाखा व्यवसायी वहीं चले जायेंगे. इस मुद्दे पर जलपाईगुड़ी नगरपालिका के अध्यक्ष मोहन बोस का कहना है कि नगरपालिक की ओर से पटाखे की बिक्री के लिए किसी को ट्रेड लाइसेंस नहीं दिया गया है. अवैध रूप से पटाखे की बिक्री की जानकारी उन्हें भी है. ऐसे व्यवसायियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध उन्होंने पुलिस और प्रशासन से किया है.
श्री बोस ने कहा कि स्पोर्ट्स कांप्लेक्स अथवा समाज पाड़ा में पटाखा बाजार बनाने का प्रस्ताव नगरपालिका ने दिया है. लेकिन पटाखा व्यवसायी वहां जाने के लिए राजी नहीं हो रहे हैं. श्री बोस ने कहा कि वह नहीं चाहते कि एक बार फिर से दीनबाजार में भयावह अग्निकांड की घटना घटे.

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