Advertisement
सिलीगुड़ी में धीरे-धीरे दम तोड़ रहे हैं सिनेमा घर
सिलीगुड़ी : पिछले कुछ वर्षो से एक ओर जहां कई हिन्दी फिल्में सैकड़ों करोड़ रुपये का कारोबार कर रही है, वहीं दूसरी ओर इन फिल्मों को चलाने वाले सिनेमा घरों की हालत लगातार पतली हो रही है. खासकर सिलीगुड़ी के सिनेमाघर लगातार हो रहे घाटे की वजह से दम तोड़ रहे हैं. आये दिन किसी […]
सिलीगुड़ी : पिछले कुछ वर्षो से एक ओर जहां कई हिन्दी फिल्में सैकड़ों करोड़ रुपये का कारोबार कर रही है, वहीं दूसरी ओर इन फिल्मों को चलाने वाले सिनेमा घरों की हालत लगातार पतली हो रही है. खासकर सिलीगुड़ी के सिनेमाघर लगातार हो रहे घाटे की वजह से दम तोड़ रहे हैं. आये दिन किसी न किसी सिनेमाघर के बंद होने की खबरें आ रही हैं. सिलीगुड़ी शहर में सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों की स्थिति काफी दयनीय है. ऐसे सिनेमाघरों में फिल्म देखने वालों का टोटा लगा हुआ है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सिलीगुड़ी के सिंगल स्क्रीन वाले अधिकांश सिनेमाघर घाटे में चल रहे हैं. इन सिनेमाघरों की पहले से ही हालत खराब थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षो में मल्टीपलेक्स सिनेमाघरों के आने से इनकी पूरी तरह से कमर टूट गई. तमाम प्रयासों के बाद भी सिंगल स्क्रीन वाले सिनेमाघर अपने आप को नहीं बचा पा रहे हैं. ताजा मामला उर्वशी सिनेमा हॉल का है. आनंदलोक सिनेमा हॉल के बाद उर्वशी सिनेमा हॉल भी बंद हो गया है. पिछले कुछ वर्षो के दौरान झंकार तथा आनंदलोक के बाद उर्वशी तीसरा सिनेमा हॉल है, जहां ताला लटक गया है. सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों ने अपने आप को बचाने की काफी कोशिश की. कुछ अतिरिक्त आय जुटाने के लिए कई सिनेमाघरों में दोपहर 11.30 बजे से एडल्ट फिल्में दिखायी जाने लगी.
इन नीली-पीली फिल्मों को चलाने का भी कोई लाभ नहीं हुआ. आनंदलोक, उर्वशी तथा मेघदूत सिनेमा हॉल में दिन के 11.30 बजे से लगातार ऐसी फिल्में दिखायी जाती थी. दो सिनेमाघर तो बंद हो गये हैं. मेघदूत सिनेमा में अभी भी ऐसी फिल्में दिखायी जा रही है. ऐसी स्थिति सिर्फ सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों की ही नहीं है. सिलीगुड़ी के एक मल्टीपलेक्स में भी ताला लग गया है. दर्शकों की कमी के कारण दागापुर स्थित सिनेमैक्स पिछले कई महीने से बंद पड़ा हुआ है. सिनेमैक्स के एक अधिकारी सचिदानंद सिंह ने बताया है कि दर्शकों की कमी की वजह से इस मल्टीपलेक्स को बंद करना पड़ा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले दिनों में इस मल्टीपलेक्स को फिर से खोलने की कोशिश की जायेगी. सिलीगुड़ी में सिनेमाघरों के बंद होने के दो कारण इस उद्योग से जुड़े लोग बता रहे हैं. एक तो सुविधाओं तथा तकनीकी विकास में कमी तथा दूसरा जमीन के ऊंचे भाव. सिलीगुड़ी में जितने भी सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर हैं, वह सभी शहर के प्राइम लोकेशन पर हैं.
हिलकार्ट रोड, सेवक रोड आदि स्थानों पर जमीन की कीमतें आसमान छू रही है. करोड़ों की जमीन पर सिंगल स्क्रीन का सिनेमाघर चलाना काफी घाटे का सौदा है. आनंदलोक तथा उर्वशी सिनेमाघर जहां स्थित है, वहां की जमीन कई करोड़ रुपये की है. आनंदलोक को बंद कर वहां होटल बना दिया गया है. आने वाले दिनों में उर्वशी सिनेमा हॉल की जमीन पर यदि किसी शॉपिंग मॉल अथवा होटल का निर्माण हो जाये, तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. इस संबंध में सिलीगुड़ी के प्रमुख नाट्यकर्मी तथा रंगमंच के अध्यक्ष करण जैन का कहना है कि पिछले कुछ वर्षो के दौरान तकनीकी काफी तेजी से बदली है. इंटरनेट के इस युग में सबकुछ घर पर ही उपलब्ध है. लोगों की आय बढ़ी है तथा मध्यम तथा उच्च मध्यम वर्ग के लोगों में बड़े-बड़े टीवी सेट लगे हुए हैं. फिल्म रिलिज होने के कुछ दिन बाद ही पूरी फिल्म इंटरनेट पर ऑनलाइन उपलब्ध करा दी जाती है. लोग फिल्मों को डाउनलोड कर अपने घर में ही देख लेते हैं. श्री जैन ने कहा कि इस आधुनिक युग में लोगों की भाग दौड़ भी काफी बढ़ गई है. लोगों के पास समय का अभाव है.
रविवार को छुट्टी के दिन काफी लोग फिल्म न देख कहीं घुमने निकल जाते हैं. परिवार के सदस्य हर दिन ही टीवी तथा फिल्में देखते हैं. रविवार के दिन काफी परिवार ऐसे हैं जो आउटिंग के लिए सिलीगुड़ी के आसपास के इलाकों में निकल जाते हैं. श्री जैन ने सिनेमाघरों के दम तोड़ने का एक मुख्य कारण अच्छी फिल्मों की कमी बताया. उन्होंने कहा कि अब पहले जैसी फिल्में नहीं बन रही है, जो मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक संदेश भी दे. मदर इंडिया, शोले, दीवार जैसी फिल्में अब देखने को नहीं मिल रही हैं.
सिलीगुड़ी के दागापुर स्थित एक एम्युजमेंट पार्क सेविन किंगडम के निदेशक अंकुर जाजोदिया का कहना है कि सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों में समय के साथ-साथ अपने आप को परिवर्तित नहीं किया. इसी वजह से इन सिनेमाघरों की स्थिति खराब है. इसके अलावा मल्टीपलेक्स के खुल जाने से भी सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों की स्थिति बदहाल है. उन्होंने कहा कि सिलीगुड़ी में जितने भी सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर हैं, उनमें से कहीं भी दर्शकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध नहीं करायी गई है. इन सिनेमाघरों की कुर्सियां टूटी होती हैं और गरमी से लोग परेशान रहते हैं. आज के जमाने में बगैर एसी के कोई भी इन सिनेमाघरों में फिल्म देखने नहीं जायेगा. साउंड क्वालिटी से लेकर तमाम तकनीक लचर हैं.
उन्होंने कहा कि जब तक ये सिनेमाघर समय के साथ-साथ अपने आप को नहीं बदलेंगे, तब तक इनका बाजार में टिक पाना मुश्किल है. कुछ इसी तरह की बातें सिलीगुड़ी के प्रमुख बिल्डर नितेश पेड़ीवाल ने भी कही है. नितेश पेड़ीवाल का कहना है कि उर्वशी सिनेमा हॉल के बंद होने का मुख्य कारण समय के साथ तकनीक में बदलाव नहीं करना है. मल्टीपलेक्स में सुबह के शो में लोग कम पैसे पर भी एसी की हवा खाते हुए आरामदायक कुर्सियों पर बैठकर सिनेमा देखने का लुफ्त उठा सकते हैं.
जमीन की बढ़ती कीमत
सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों के बंद होने के पीछे जहां समय के साथ-साथ तकनीकी में बदलाव नहीं करना है, वहीं जमीन की कीमत काफी अधिक होना भी ऐसे सिनेमाघरों के बंद होने का प्रमुख कारण है. अंकुर जाजोदिया तथा नितेश पेड़ीवाल का कहना है कि उर्वशी सिनेमा जिस स्थान पर है, वहां जमीन की कीमत काफी अधिक है. करोड़ों की जमीन पर घाटे में अथवा बहुत ही कम मुनाफे में सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर चलाना बुद्धि भरा काम नहीं है. इन दोनों ने आने वाले दिनों में कई अन्य सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों के भी बंद होने की आशंका जतायी.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement