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राज्य सरकार की अनदेखी से मसूद का पायलट बनना मुश्किल

मालदा: मोहम्मद मसुद नामक 20 वर्षीय एक युवक के पाइलट बनने का सपना राज्य सरकार के कारण पूरा नहीं हो पा रहा है. वह बीते पांच महीने से प्रशंसा पत्र के लिए पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के कार्यालय का चक्कर काट रहा है. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान एकेडेमी के पायलट परीक्षा में देशभर में पहला […]

मालदा: मोहम्मद मसुद नामक 20 वर्षीय एक युवक के पाइलट बनने का सपना राज्य सरकार के कारण पूरा नहीं हो पा रहा है. वह बीते पांच महीने से प्रशंसा पत्र के लिए पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के कार्यालय का चक्कर काट रहा है.

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान एकेडेमी के पायलट परीक्षा में देशभर में पहला स्थाना प्राप्त करने के बावजूद राज्य सरकार के एक सर्टिफिकेट के कारण मोहम्मद मसुद पायलट नहीं बन पा रहा है.अपने भविष्य के बारे में सोच कर उसने राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी को भी पत्र लिखा है, लेकिन राज्यपाल की ओर से भी कोई जवाब अभी तक नहीं आया.

भावी पायलट मोहम्मद मसुद का कहना है कि विमान प्रशिक्षण के लिए उसे कुल साढ़े 32 लाख रुपये देने होंगे. ओबीसी व अल्पसंख्यक समुदाय का होने के कारण अगर वह पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का प्रमाण पत्र इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विमान एकेडेमी में जमा कर दे, तो उसे 10 लाख रुपये का स्कॉलरशिप मिलेगा. अगर उसे यह स्कॉलरशिप नहीं मिलता है, तो वह कभी भी पायलट नहीं बन पायेगा. मोहम्मद मसुद मालदा जिले के चांचल महकमा अंतर्गत हरिशचंद्रपुर एक नंबर ब्लॉक के तुलसीहट्टा गांव का निवासी है.

2009 में तुलसीहट्टा स्कूल से उसने 78.13 प्रतिशत नंबर पाकर माध्यमिक परीक्षा पास की थी. वर्ष 2011 में चांचल सिद्धेशरी हाईस्कूल से विज्ञान विभाग में उसे 71 प्रतिशत अंक मिले थे. उसी साल वह चेन्नई के एक प्राइवेट शैक्षणिक संस्थान में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए भरती हुआ था.लेकिन प्राइवेट संस्था ब्लैक लिस्टेड हो जाने के बाद उसने एक पत्रिका में पायलट प्रशिक्षण संबंधी विज्ञापन देखा व उसमें आवेदन किया. उत्तर प्रदेश के रायबरेली स्थित देश का एकमात्र सरकारी संस्थान इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान एकेडमी में वाणिज्यिक विमान प्रशिक्षण के लिए 10 अक्तूबर 2013 को उसने आवेदन किया था. 17 नवंबर, 2013 को कोलकाता के दमदम एयरपोर्ट पर लिखित परीक्षा संपन्न हुई. 23 नवंबर को रिजल्ट आउट हुआ. देश के 75 परीक्षार्थियों में मोहम्मद मसुद ने पहला स्थान हासिल किया. इसके बाद रायबरेली में 23 नवंबर को मौखिक परीक्षा में भी मसुद प्रथम हुआ. 30 दिसंबर 2013 को विमान चलाने के लिए मसुद को उपयुक्त घोषित किया गया व शारीरिक परीक्षा में भी उसे 92.3 प्रतिशत अंक प्राप्त हुआ. मोहम्मद मसुद ने बताया कि विमान संस्था की ओर से ईमेल के जरिये उसे पांच मार्च 2014 को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान एकेडेमी में दाखिला लेने के लिए कहा गया. 18 महीने के प्रशिक्षण के लिए कुल साढ़े 32 लाख रुपये लगेंगे. रुपये किस्त में देने की भी व्यवस्था है.

इसके लिए पहले चरण में दो लाख रुपये देकर रजिस्ट्रेशन फी देनी पड़ेगी. पहले किश्त के तहत साढ़े आठ लाख रुपये देने होंगे. कुल साढ़े 32 लाख रुपये में 10 लाख रुपये की सब्सिडी की मिलेगी. इसके लिए राज्य सरकार के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का एक सर्टिफिकेट विमान मंत्रलय के पास जमा करना होगा. सर्टिफिकेट के लिए उसने सात अगस्त 2014 को पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री उपेन विश्वास के पास लिखित आवेदन किया था, लेकिन कोई मदद नहीं की गयी. केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय व सुरक्षा मंत्रलय से उसे जानकारी मिली कि राज्य सरकार ने उसके स्कॉलरशिप के लिए कोई चिट्ठी नहीं भेजी हैं. पिछड़ा कल्याण विभाग के अधिकारियों से संपर्क करने पर उसे पता चला कि केंद्र सरकार का किसी प्रकार का निर्देश नहीं माना जायेगा. इसके बाद दो दिसंबर 2014 को मसुद फिर से केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रलय से गुहार लगायी. इसके बाद आठ दिसंबर को केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रलय की ओर से राज्य पिछड़ा वर्ग विकास विभाग के मुख्य सचिव को पत्र भेजा गया और साथ ही राज्य सरकार से जवाब मांगा गया कि आखिर किसलिए मोहम्मद मसुद को परेशान किया जा रहा है.

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