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कमजोर बाजुओं को बुलंद हौसले से मिल रहा बल

गन्ने का रस बेचकर अपना व बीमार पति का खर्च चला रही हैं 55 वर्षीय निर्मला देवी सिलीगुड़ी में गन्ने का रस बेचनेवाली पहली महिला सिलीगुड़ी :क्या आपने किसी महिला को गन्ने का रस निकालते और बेचते देखा है? ज्यादा संभावना है कि आपका जवाब नहीं में होगा. आज महिलाएं लगभगर हर क्षेत्र में पुरुषों […]

गन्ने का रस बेचकर अपना व बीमार पति का खर्च चला रही हैं 55 वर्षीय निर्मला देवी

सिलीगुड़ी में गन्ने का रस बेचनेवाली पहली महिला
सिलीगुड़ी :क्या आपने किसी महिला को गन्ने का रस निकालते और बेचते देखा है? ज्यादा संभावना है कि आपका जवाब नहीं में होगा. आज महिलाएं लगभगर हर क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी कर रही हैं, लेकिन अब भी कुछ पेशे ऐसे हैं जिनमें उनकी भागीदारी न के बराबर है. ऐसा ही एक पेशा है गन्ने का रस बेचना. वजह शायद यह है कि इस काम में बहुत ज्यादा शारीरिक ताकत की जरूरत होती है.
लेकिन जब लोग सिलीगुड़ी के विधान रोड इलाके में 55 वर्षीय निर्मला देवी को पूरे दमखम के साथ गन्ना पेरने की मशीन चलाते देखते हैं, तो उनके मन में यही आता है कि शरीर की ताकत से बढ़कर है इंसान का हौसला. बुजुर्ग होने की ओर बढ़ रही निर्मला देवी सिलीगुड़ी की शायद पहली महिला हैं जिन्होंने इस पेशे को अपनाया है. हालांकि इसके पीछे उनकी दर्दभरी दास्तान भी है.
निर्मला देवी सिलीगुड़ी शहर के 18 नंबर वार्ड के बागराकोट की रहनेवाली हैं. घर का कामकाज संभालने के साथ-साथ पापी पेट के लिए जुगाड़ करने की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है, क्योंकि उनके पति लंबे समय से अस्वस्थ हैं. घर के सारे काम निपटाकर सुबह 10-11 बजे वह ठेला लेकर सिलीगुड़ी की सड़कों पर गन्ने का रस बेचने निकल पड़ती हैं. कभी सिलीगुड़ी कोर्ट, कभी सिलीगुड़ी जिला हॉस्पिटल, तो कभी वीनस मोड़ पर निर्मला देवी को गन्ना पेरने की मशीन से जूझते देखा जा सकता है. हालांकि, अधिकतर समय वह विधान रोड इलाके में कंचनजंघा स्टेडियम के सामने खुदीरामपल्ली मोड़ पर ठेला लगाती हैं.
निर्मला देवी को तपती दोपहर में मशीन चलाते देख प्रभात खबर का यह संवाददाता खुद को उनसे बातचीत करने से रोक नहीं पाया. यह पूछने पर कि एक औरत होकर गन्ने का रस बेचती हैं कोई संकोच या झिझक नहीं होती, उन्होंने कहा, ‘इसमें शर्म किस बात की है? इसके अलावा, कौन क्या कहता है उससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. मेरी पहली जिम्मेदारी अपना और अपने पति का जीवन चलाना है.’ उन्होंने बताया कि पहले यही काम उनके पति धर्मनाथ करते थे.
लेकिन बीमार पड़ने के बाद वह शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो गये हैं. बगैर किसी सहारे के चलने-फिरने में भी अक्षम हैं. निर्मला देवी ने बताया कि एक साल से अधिक हो गया वह यह काम करे अपना और पति का पेट पाल रही हैं.
आपके बच्चे तो जवान होंगे, फिर आपको इस उम्र में इतनी कड़ी मेहनत का काम क्यों करना पड़ रहा है? इस सवाल पर भावुक होते हुए निर्मला देवी ने कहा कि एक लड़का है जय किशोर प्रसाद. लेकिन शादी के बाद से मां-बाप को छोड़कर अपनी पत्नी के साथ रहता है. उसने हमारे साथ नाता भी तोड़ लिया है. उन्होंने बताया कि दो बेटियां है नीरा और बबली. दोनों की शादी हो चुकी है और ससुराल में अपनी जिम्मेदारियों को संभाल रही है.

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