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मयनागुड़ी: बीचाडांगा वनबस्ती में देखा जा रहा है विरल हाथी

मयनागुड़ी : डुआर्स क्षेत्र के चाय बागानों और वनबस्तियों में कहर ढा रहे हाथियों के बीच एक जंगली हाथी ऐसा भी है जो सामने लोगों को देखकर भी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता. जब भी मन करता है तो वह बस्तीवासियों के धान खेत में जाकर धान खाने लगता है. तमाम कोशिशों के बावजूद भी […]

मयनागुड़ी : डुआर्स क्षेत्र के चाय बागानों और वनबस्तियों में कहर ढा रहे हाथियों के बीच एक जंगली हाथी ऐसा भी है जो सामने लोगों को देखकर भी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता. जब भी मन करता है तो वह बस्तीवासियों के धान खेत में जाकर धान खाने लगता है. तमाम कोशिशों के बावजूद भी वह वहां से हिलता नहीं है. घंटे-दो घंटे तक धान की फसल खाने के बाद वह अपने आप जंगल की तरफ चला जाता है. पिछले कई माह से यह घटनाक्रम चल रहा है.

मंगलवार के दोपहर को एक बजे भी गोरुमारा जंगल संलग्न बीचाडांगा वनबस्ती के धान खेत में यह हाथी हाजिर हो गया. उसके बाद ग्रामीणों ने काफी शोर मचाया. लेकिन वह वहां से टस से मस नहीं हुआ. यहां तक कि पटाखे भी फोड़े गये लेकिन उसका भी असर नहीं हुआ. करीब एक घंटे तक धान की फसल खाने के बाद वह जंगल की तरफ चला गया. करीब एक सप्ताह पहले लाटागुड़ी के डांगापाड़ा निवासी मनू दत्त जंगल में जलावन की तलाश में निकले थे.
अचानक यह हाथी उनके सामने आ गया. उस समय मनू दत्त ने सोचा था कि आज उनकी जिंदगी का आखिरी दिन है. लेकिन हाथी ने उन्हें देखकर खुद ही अपना रास्ता बदल लिया. केवल यही नहीं, लाटागुड़ी और गोरुमारा जंगल के बीचोबीच राष्ट्रीय राजमार्ग-31 पर अक्सर यह हाथी खड़ा दिखाई देता है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि सामने लोगों के रहने पर भी वह किसी पर हमला नहीं करता. ऐसे में वहां भ्रमण के लिए आये पर्यटक उसकी तस्वीर लेने में व्यस्त हो जाते हैं. वरिष्ठ हाथी विशारद पार्वती बरुआ ने बताया कि कई हाथियों का स्वभाव इस तरह का होता है. हालांकि हैं तो वह हाथी ही, कब कैसा मूड हो कुछ कहा नहीं जा सकता. इसीलिए उससे जितना हो सके दूर रहा जाये, वही बेहतर है.

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