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त्रिपक्षीय बैठक में नहीं निकला निष्कर्ष

ज्वाइंट फोरम के नेताओं ने सरकार पर लगाया पक्षपात का आरोप दार्जिलिंग : चाय बागान श्रमिकों की समस्याओं को लेकर गुरुवार को कार्सियांग के सर्किट हाउस में आयोजित बैठक बिना किसी निष्कर्ष के समाप्त हो गयी. इस बैठक में श्रमिकों की मांगों व अधिकारों को देने में बागान मालिकों ने असमर्थता जता दी. जिसके बाद […]

ज्वाइंट फोरम के नेताओं ने सरकार पर लगाया पक्षपात का आरोप
दार्जिलिंग : चाय बागान श्रमिकों की समस्याओं को लेकर गुरुवार को कार्सियांग के सर्किट हाउस में आयोजित बैठक बिना किसी निष्कर्ष के समाप्त हो गयी. इस बैठक में श्रमिकों की मांगों व अधिकारों को देने में बागान मालिकों ने असमर्थता जता दी. जिसके बाद यह बैठक बेनजीता रही.
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बैठक में दार्जिलिंग टी एसोसिएशन की ओर से संदीप मुखर्जी, इंडेन टी एसोसिएशन से सचिव मोहन छेत्री, ज्वाइंट फोरम से कंवेनर जेवी तमांग, प्रवक्ता सुनिल राई, अमर लामा, अलताप हुसैन, महेंद्र राई, भरत ठकुरी, करूण गुरूग आदि उपस्थित थे.
वहीं सरकारी पक्ष की ओर से जीएलसी, दार्जिलिंग एएलसी, कार्सियांग एएलसी, कालिम्पोंग एएलसी आदि मौजूद रहे. बैठक में विगत कुछ माह पहले वृद्धि किये गये 17 रुपया 50 पैसा और इसका एरियर, स्टाफ का मासिक वेतन में राशन का पैसा देने आदि विषयों पर बातचीत हुयी. लेकिन इन विषयों को चाय बगान के मालिक पक्ष की ओर से फिलहाल देने की अवस्था में नही होने की बातें कही गयी.
श्रमिक संगछन के भरत ठकुरी ने कहा कि मालिक पक्ष से आये हुये डीटीए के सचिव संदीप मुखर्जी ने बैठक में श्रमिकों के लिये तय किये गये साहूलियत के बारे में कोई ठोस वचन नहीं देने के कारण सभी खफा हो गये. सरकार ने श्रमिकों के न्यूनतम वेतन देने की मांगें जब तक तय नहीं किया जायेगा, तब तक सरकार के पक्ष से इन विषयों को मंजूरी दिया था. लेकिन वो भी जनवरी माह से शुरू होना चाहिये था, लेकिन आज तक लागू नहीं किये जाने पर श्रमिक संगठन नाराज हैं.
इन्हीं बातों को बैठक में रखे जाने पर मालिक पक्ष की ओर से इसको भी फिलहाल देने से इंकार कर दिया गया. इस बारे में सरकारी पक्ष से आये अधिकारियों ने भी कोई ठोस फैसला नहीं दे सके. श्री ठकुरी ने कहा कि मालिक पक्ष की ओर से सरकारी पक्ष ने श्रमिकों के बारे में कोई ठोस निर्णय नहीं ले सके तो हमलोगों को बैठक में क्यूं बुलाया.
इसी तरह ज्वाइंट फोरम के कंवेनर जेवी तमांग ने सरकार पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुये कहा कि पहाड़ और तराई डुआर्स में कार्यरत श्रमिकों के लिये एक साथ अपना निर्णय सुनाया था. तराई डुआर्स क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिकों को सरकार द्वारा घोषणा की गयी सभी सहूलियतें मिल रही है. लेकिन पहाड़ के चाय बगान श्रमिकों को सात माह बीत जाने के बावजूद भी नहीं मिल रहा है.

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