कोलकाता.
विश्वभारती विश्वविद्यालय में इस बार भी दोल पूर्णिमा के दिन बसंतोत्सव का आयोजन नहीं होगा. इसके बजाय यह उत्सव 11 मार्च को मनाया जायेगा. इस कार्यक्रम में केवल विश्वभारती विश्वविद्यालय के छात्र और शिक्षक ही हिस्सा ले सकेंगे, जबकि बाहरी लोगों का प्रवेश पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा. विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह फैसला लिया है. हर साल दोल उत्सव के मौके पर शांतिनिकेतन में भारी संख्या में पर्यटक जुटते हैं. इसी वजह से विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस बार भी दोल के दिन की बजाय पहले ही बसंतोत्सव मनाने का फैसला लिया है, ताकि शांतिनिकेतन की परंपरा और विश्वभारती की गरिमा को भीड़ से कोई नुकसान न पहुंचे. कुलपति विनय कुमार सोरेन, विभिन्न विभागों के प्रमुख, सुरक्षा अधिकारी और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद यह निर्णय लिया है. गौरतलब है कि 2019 में आखिरी बार शांतिनिकेतन के आश्रम मैदान में सार्वजनिक रूप से बसंतोत्सव मनाया गया था, लेकिन 2020 में कोरोना महामारी के कारण इस उत्सव को रोक दिया गया. 2021 से तत्कालीन कुलपति विद्युत चक्रवर्ती ने बसंतोत्सव में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए दोल पूर्णिमा के दिन इस उत्सव को आयोजित न करने का निर्णय लिया.विश्वभारती के कार्यवाहक जनसंपर्क अधिकारी अतीग घोष ने शनिवार बताया कि अब शांतिनिकेतन को यूनेस्को द्वारा ‘वर्ल्ड हेरिटेज साइट’ का दर्जा मिल चुका है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है