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विधानसभा में पारित हुआ पश्चिम बंगाल (लिंचिंग रोकथाम) विधेयक, 2019

दोषी सािबत होने पर हो सकती है मौत की सजा कोलकाता : भीड़ द्वारा हमला और लिंचिंग (पीटकर हत्या) करने जैसी घटनाओं की रोकथाम के लिए शुक्रवार को राज्य विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया और इन्हें अपराध की श्रेणी में डाला गया है. इसके तहत आइपीसी की धारा से भी सख्त कानून बनाया गया […]

दोषी सािबत होने पर हो सकती है मौत की सजा

कोलकाता : भीड़ द्वारा हमला और लिंचिंग (पीटकर हत्या) करने जैसी घटनाओं की रोकथाम के लिए शुक्रवार को राज्य विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया और इन्हें अपराध की श्रेणी में डाला गया है. इसके तहत आइपीसी की धारा से भी सख्त कानून बनाया गया है. मॉब लिंचिंग की घटना में अगर किसी की मौत होती है और आरोपियों का दोष साबित हो जाता है, तो उन्हें मौत की सजा भी दी जा सकती है.
शुक्रवार को राज्य के संसदीय कार्य मंत्री डॉ पार्थ चटर्जी ने सदन में पश्चिम बंगाल (लिंचिंग रोकथाम) विधेयक, 2019 पेश किया, जिसका विपक्षी दलों माकपा और कांग्रेस ने समर्थन किया. हालांकि, माकपा के विधायक दल के नेता डॉ सुजन चक्रवर्ती ने इसे सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की थी, लेकिन उनके प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया.
वहीं, राज्य में मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी भाजपा ने इस विधेयक का न तो समर्थन किया, और न ही विरोध. भाजपा के विधायक स्वाधीन कुमार सरकार ने इसके क्रियान्वयन व उपयोग पर सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जिन परिस्थितियों में यह विधेयक पेश कर रही है, उसे देख कर ऐसा लगता है कि इस कानून का उपयोग राजनीतिक तौर पर फायदा उठाने के लिए किया जा सकता है.
विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सदन में कहा : असहाय लोगों के लिए यह विधेयक रक्षा कवच है. मॉब लिंचिंग के नाम पर पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है. समाज का एक वर्ग व एक विशेष राजनीतिक पार्टी के समर्थक अल्पसंख्यक व दलितों पर अत्याचार कर रहे हैं. ऐसी घटनाओं को हमारी सरकार कतई बर्दाश्त नहीं करेगी.

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