कोलकाता : भारत के 24 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के 1000 से अधिक चिकत्सिकों नेे इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है, जिसमें ईएनडीएस ई-सिगरेट, ई-हुक्का आदि शामिल है.
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ई-सिगरेट पर प्रतिबंध जारी रखने के लिए डॉक्टरों ने पीएम को लिखा पत्र
कोलकाता : भारत के 24 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के 1000 से अधिक चिकत्सिकों नेे इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है, जिसमें ईएनडीएस ई-सिगरेट, ई-हुक्का आदि शामिल है. इसमें पश्चिम बंगाल के 40 से अधिक चिकित्सक शामिल हैं. प्रधानमंत्री को लिखे पत्र […]
इसमें पश्चिम बंगाल के 40 से अधिक चिकित्सक शामिल हैं. प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में इन डॉक्टरों ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह बहुत जरूरी है कि युवाओं के बीच ईएनडीएस महामारी बन कर फैल जाए, इससे पहले इस पर रोक लगायी जाये.
पत्र पर हस्ताक्षर करनेवाले ये 1061 डॉक्टर इस बात से बेहद चिंतित हैं कि एक सार्वजनिक स्वास्थ्य मामले पर, व्यापार और उद्योग संगठन ई-सिगरेट के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा दे रहे हैं.
ई-सिगरेट को ई-सिग, वेप्स, ई-हुक्का, वेप पेन भी कहा जाता है, जो इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) है. कुछ ई-सिगरेट नियमित सिगरेट, सिगार या पाइप जैसे दिखते हैं. कुछ यूएसबी फ्लैश ड्राइव, पेन और अन्य रोजमर्रा की वस्तुओं की तरह दिखते हैं. जो युवाअों को बेहद आकर्षित कर रहा है.
डॉक्टर के समूह ने 30 संगठनों द्वारा आइटी मंत्रालय को लिखे गये एक पत्र पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य का मामला है और इसलिए इसे खतरे में डालकर व्यावसायिक हितों की रक्षा नहीं की जानी चाहिए.
मीडिया रिपोर्ट के 30 संगठनों ने इंटरनेट पर ईएनडीएस के प्रचार पर प्रतिबंध न लगाने के लिए आइटी मंत्रालय को लिखा था. उल्लेखनीय है कि 28 अगस्त 2018 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ईएनडीएस पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक परामर्शिका जारी की थी.
इस साल मार्च में एमओएचएफडब्ल्यू द्वारा नियुक्त स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक पैनल ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें ईएनडीएस पर 251 शोध अध्ययनों का विश्लेषण किया गया. पैनल ने निष्कर्ष निकाला कि ईएनडीएस किसी भी अन्य तंबाकू उत्पाद जितना ही खराब है और निश्चित रूप से असुरक्षित है.
टाटा मेमोरियल अस्पताल के उप निदेशक एंव हेड नेक कैंसर सर्जन डॉ पंकज चतुर्वेदी ने कहा, यह कोई अतिशयोक्त नहीं होगी कि निकोटीन को जहर माना जाए. यह दुखःद है कि ईएनडीएस लॉबी ने डॉक्टरों के एक समूह को लामबंद किया है, जो ईएनडीएस उद्योग के अनुरूप भ्रामक, विकृत जानकारी साझा कर रहे हैं. चतुर्वेदी ने कहा तंबाकू कंपनियां चाहती हैं कि नयी पीढ़ी निकोटीन और धूम्रपान के प्रति आकर्षित हो.
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