19.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

कोलकाता : दामोदर परियोजना डॉ आंबेडकर की देन, लेकिन डीवीसी की वेबसाइट व इतिहास में नहीं है जिक्र : भंते तिस्सावरो

अजय विद्यार्थी कोलकाता : केंद्र सरकार ने भारतीय संविधान के रचयिता डॉ बाबा साहेब अांबेडकर के सामाजिक न्याय और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्धता व एक मजबूत और समृद्ध भारत के निर्माण में योगदान को याद करते हुए गुरुवार को उनके महापरिनिर्वाण दिवस (6 दिसंबर) का पालन पूरे देश में किया, लेकिन केंद्र सरकार की […]

अजय विद्यार्थी
कोलकाता : केंद्र सरकार ने भारतीय संविधान के रचयिता डॉ बाबा साहेब अांबेडकर के सामाजिक न्याय और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्धता व एक मजबूत और समृद्ध भारत के निर्माण में योगदान को याद करते हुए गुरुवार को उनके महापरिनिर्वाण दिवस (6 दिसंबर) का पालन पूरे देश में किया, लेकिन केंद्र सरकार की संस्था दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के अधीन दामोदर परियोजना, जिसके निर्माता बाबा साहेब अांबेडकर थे, उन्हें डीवीसी ने भूला दिया है.
डीबीसी की वेबसाइट या उनके इतिहास में कहीं भी दामोदर परियोजना के संस्थापक के रूप में बाबा साहेब के योगदान का कोई उल्लेख नहीं है.
बुद्ध अवशेष बचाओ के संगठक व प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु, भंते तिस्सावरो ने प्रभात खबर से बातचीत करते हुए ये आरोप लगाया. डॉ भंते ने बताया कि डॉ बाबा साहेब ब्रिटिश काल में 1942-1946 तक कैबिनेट मंत्री थे. उन्होंने दामोदर नदी की भयानक स्थिति को देखते हुए दामोदर परियोजना के बारे में सोचा. इस संदर्भ में तीन जनवरी, 1945 को कलकत्ता के सचिवालय में पहली बैठक हुई.
इसमें बंगाल, बिहार और तत्कालीन केंद्रीय मध्यवर्ती सरकार के कई प्रतिनिधि भी शामिल हुए. डॉ आंबेडकर ने दामोदर नदी प्रकल्प पर आयोजित तीन परिषदों का नेतृत्व किया. इस परिषद में बाढ़ नियंत्रण और उससे सुरक्षा के बारे में क्या योजना होनी चाहिए, प्रकल्प के कारण नदी का नियंत्रण कैसा होना चाहिए, सूखे से कैसे निबटेंगे, विद्युत निर्माण कैसे किया जायेगा, इस विषय पर बाबा साहेब ने विस्तृत मार्गदर्शन किया था.
बौद्ध भिक्षु श्री भंते कहते हैं कि डॉ आंबेडकर के नेतृत्व में डैम निर्माण की परियोजना ने अच्छी प्रगति की और इसके लिए प्रांतीय सरकार की भी मदद मिली थी. इसके लिए 1944 में निर्णय हुआ और प्राथमिक अभियांत्रिकी का खाका अगस्त, 1945 में तैयार हुआ और उसे मान्यता भी मिली. उन्होंने कहा कि मतभेद दूर करते हुए अगस्त, 1947 में प्रांतीय सरकारों ने दामोदर प्रकल्प के लिए आर्थिक सहायता देने की जवाबदेही ली और इसके लिए दामोदर नदी प्राधिकरण मंडल की स्थापना की. दामोदर प्राधिकरण का प्रस्ताव दिसंबर, 1947 में लोकसभा में पेश हुआ और फरवरी 1948 में यह विधेयक पारित हो गया.
साथ ही सात जुलाई, 1948 को कानून की मान्यता मिल गयी. बाबा साहेब ने इस डैम के श्रम विभाग के पुनर्वासन विषय की बैठक 22 अप्रैल, 1946 को की थी. इस बैठक में उन्होंने कहा था कि जिस किसान की खेती की जमीन गयी है, उनको बदले में जमीन और खेती का उचित मुआवजा मिलना चाहिए. साथ ही उस किसान के पारिवार के सदस्य को नौकरी भी.
बौद्ध भिक्षु भंते का कहना है कि डॉ साहेब की पुनर्वास नीति का डीवीसी ने सही ढंग से पालन नहीं किया. अभी भी पुनर्वासन की समस्या बनी हुई है.
उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुखद है कि एक ओर केंद्र और राज्य सरकार डॉ अांबेडकर के आदर्शों का प्रचार-प्रसार कर रही है तो दूसरी ओर, उनके द्वारा निर्मित दामोदर प्रकल्प में उन्हें ही भूला दिया गया है. दामोदर परियोजना में डॉ अांबेडकर के योगदान का कहीं भी उल्लेख नहीं है. दामोदर घाटी निगम की वेबसाइट में भी डॉ आंबेडकर के योगदान का कोई उल्लेख नहीं है, यह बहुत ही दुखद है. इस बाबत न केवल डीवीसी को, वरन केंद्र सरकार को भी पहल करनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि बंगाल राज्य को भी दामोदर प्राधिकरण का पूरा लाभ मिल रहा है. बंगाल सरकार को डॉ आंबेडकर का एक भव्य स्मारक बनाना चाहिए, जिसमें उनसे संबंधित पुस्तकों का संग्रह, सभागृह तथा विद्यार्थियों व शोधकर्ताओं के लिए स्टडी हॉल हो.
इस संबंध में श्री भंते तिस्सावरो, मगध क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता डॉ अमरदीप कुमार, ब्रह्माण संगठन, गया के रंजीत पांडेय, बिहार-झारखंड प्रधानाध्यापक संघ के शंकर मास्टर, बिहार-झारखंड नाविक समाज के प्राचार्य दुलाल ठाकुर का प्रतिनिधिमंडल, सामाजिक न्याय मंत्री रामदास आठवले के नेतृत्व में केंद्रीय बिजली मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन देंगे तथा डॉ आंबेडकर के दामोदर परियोजना में योगदान को रेखांकित करने तथा इतिहास में उनका उल्लेख करने की मांग करेंगे.
कौन है भंते तिस्सावरो
भंते तिस्सावरो यूं तो बौद्ध भिक्षु हैं, पर भारतीय धरोहरों को सुरक्षित और संरक्षित करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. भारतीय पुरातत्व विभाग, भारतीय धरोहरों की पड़ताल के लिए देश के कई स्थानों पर खुदाई कर रहा है. इसी माध्यम से भंते तिस्सावरो बुद्ध विचार का प्रचार-प्रसार करते हैं और गांवों में अहिंसा का प्रचार करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के श्री भंते कट्टर समर्थक माने जाते हैं. उनके वक्तव्यों में कई बार प्रधानमंत्री श्री मोदी का नाम आता है. इसी कारण पलामू और मगध क्षेत्र में तीन बार नक्सलियों ने श्री भंते पर हमला किया था.
इसके खिलाफ उनके समर्थकों ने जुलूस निकाला था तथा उन्हें पुलिस संरक्षण देने की मांग की थी. श्री भंते ने कहा कि झारखंड के मंत्री सरयू राय ने भी उनको पुलिस संरक्षण देने के लिए पत्र लिखा था लेकिन कुछ हुआ नहीं. श्री भंते का कहना है कि ऐसी स्थिति में गांव-गांव में केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रचार में बाधा आ रही है. भंते तिस्वावरो, बाबा साहेब और महात्मा ज्योतिबा फूले के कट्टर समर्थक हैं तथा रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के वरिष्ठ कार्यकर्ता हैं.
क्या का कहना है डीवीसी अधिकारी का
दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी डीएस सहाय का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. इस बाबत वह वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत व जानकारी हासिल कर ही कोई टिप्पणी कर पायेंगे.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel