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तीन वर्षों से पुरुलिया में धरा से फूट कर पानी होता बर्बाद

अब तक लाखों गैलन पानी बहकर हो चुका है नष्ट, किसी को फिक्र नहीं

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तीन वर्ष पहले आड़शा प्रखंड क्षेत्र के हेसला ग्राम पंचायत के बड़ापाड़ा में हैंडपंप के लिए हुई थी बोरिंग

हंसराज सिंह, पुरुलिया

गर्मी आने के साथ ही गांव का देहाती क्षेत्र हो, या शहरी इलाके, चारों ओर मोटे तौर पर जल की कमी देखी जाती है. यह भी कि जल की भारी कमी होने पर संकट पैदा हो जाता है, जो बीतते समय के साथ गहराता चला जाता है. जहां जल ही जीवन है और उसे बचाने के लिए केंद्र व राज्य स्तर पर तमाम योजनाएं चलायी जा रही हैं, वहीं पुरुलिया में एक ऐसा क्षेत्र है, जहां बीते तीन वर्षों से लाखों गैलन पानी बर्बाद हो चुका है और यह सिलसिला आज भी कायम है. पंचायत स्तर या जिला प्रशासन स्तर के जिम्मेदार लोगों को पानी की यह बर्बादी रोकने की नहीं पड़ी है. जिले के अधिकांश हिस्सों में जल की समस्या देखी जा रही है, जलस्रोत जैसे तालाब, जलाशय, कुएं सूखते जा रहे हैं और भूगर्भीय जल स्तर घटता जा रहा है. चापाकल या हैंडपंप भी बैठते जा रहे हैं, लेकिन पानी को बचाने की थोड़ी बहुत पहल नाकाफी साबित हो रही है. जिला के आड़शा प्रखंड अंचल के हेसला ग्राम पंचायत के बड़ापाड़ा में बीते तीन वर्ष से हैंडपंप के लिए की गयी बोरिंग के स्थान से लाखों गैलन पानी बह चुका है और यह सिलसिला आज भी जारी है. हालांकि उस जल से आसपास की खेतिहर जमीन का कुछ भला हुआ है, लेकिन अधिकांश पानी बर्बाद ही हुआ है. लगातार बहते पानी से आसपास के रास्ते खराब हो रहे हैं. आसपास के कुछ लोग इस पानी का इस्तेमाल पीने के लिए भी करते हैं. खेत में अत्यधिक पानी जमा हो जाने पर उसे पास के बड़े गड्ढे या सूखे जलाशय में मोड़ दिया जाता है.

सूत्रों की मानें, तो वर्ष 2022 में वित्तपोषण के जरिये 85 हजार की लागत से लगदा ग्राम पंचायत के बड़ापाड़ा में पंचायत की ओर से हैंडपंप लगाने के लिए बोरिंग शुरू की गयी थी. 150 फीट की बोरिंग के बाद धरती से फूट कर पानी बहने लगा. पानी की धारा इतनी तीव्र थी कि बोरिंग बीच में ही रोक दी गयी. तब से यहां पतले पाइप लगा कर पानी की धारा सीमित करके हैंडपंप या नलकूप लगाने के उपाय नहीं किये गये. इस बाबत स्थानीय दृष्टि मांडी ,बलराम महतो ने कहा कि तीन वर्ष पहले पंचायत ने यहां हैंडपंप लगाने का कार्य शुरू कराया था. 150 फीट की बोरिंग के बाद धरती से पानी की मोटी धारा फूट पड़ी. फिर काम बीच में ही रोक दिया गया. तब से आज तक ऐसे ही लगातार पानी बह कर बर्बाद हो रहा है. गर्मी के दिनों में स्थानीय खेतिहर लोग इस अतिरिक्त पानी से फसल को सींचते हैं. लेकिन चाहते हैं कि प्रशासन इस जल के सदुपयोग की व्यवस्था करे. यह पानी सीधे लोगों के घरों में जायेगा, तो पेयजल के रूप में इस्तेमाल हो पायेगा. हमलोगों को किसी भी तरह की जल की कमी ना हो और यह जल बर्बाद भी ना हो.

इस बाबत पुरुलिया जिला सभाधिपति निवेदिता महतो ने कहा कि वह मामले की पूरी जानकारी लेंगी और फिर संबद्ध विभाग के अधिकारियों से चर्चा कर जल संरक्षण के उपाय करायेंगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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