रानीगंज. मंगलपुर औद्योगिक नगरी स्थित जय बालाजी इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के लौह एवं इस्पात कारखाने में रविवार रात एक हृदयविदारक दुर्घटना घटी, जिसमें एक सुपरवाइजर की मौके पर ही मौत हो गयी. इस घटना से इलाके में शोक और आक्रोश का माहौल है. मृतक की पहचान 22 वर्षीय विकास मुंडा उर्फ लड्डू के रूप में हुई है, जो खास काजोरा मोहल्ले के निवासी थे. वह फैक्ट्री के आयरन क्रेशर विभाग में सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत थे. बताया जा रहा है कि रविवार रात जब विकास अपनी ड्यूटी पर थे, उसी दौरान कोयले से लदे एक ट्रक ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी. टक्कर इतनी भीषण थी कि उन्होंने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया.
सूचना मिलते ही बक्तानगर ग्राम रक्षा समिति और फैक्ट्री ट्रेड यूनियन के नेता मौके पर पहुंचे. उन्होंने मृतक के प्रति गहरा शोक जताया और फैक्टरी प्रशासन से मृतक के परिवार को समुचित मुआवजा देने की मांग की. साथ ही घटना के लिये जिम्मेदार लोगों पर कड़ी कार्रवाई की भी मांग की गयी. बक्तानगर ग्राम रक्षा समिति के अध्यक्ष जयदेव खान ने कहा कि “विकास की मौत अत्यंत दुखद है. हमें यह जानना जरूरी है कि हादसे का असली कारण क्या था. दोषियों को सजा मिलनी चाहिए और मृतक के परिवार को आर्थिक और नैतिक दोनों स्तर पर सहायता दी जानी चाहिए.”शहरी ग्राम सुरक्षा समिति के अध्यक्ष ने भी दुर्घटना पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सोमवार को शव का पोस्टमार्टम होने के बाद मौत के सही कारण स्पष्ट हो सकेंगे. उन्होंने कहा कि “बार-बार इस तरह की घटनाएं होना दर्शाता है कि फैक्ट्री प्रबंधन सुरक्षा उपायों को लेकर गंभीर नहीं है.”
दुर्घटना के बाद आइएनटीटीयुसी के जिलाध्यक्ष अभिजीत घटक घटनास्थल पर पहुंचे और रानीगंज के तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष रूपेश यादव को लेकर कारखाना के अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें पीड़ित परिवार के लिए 30 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की गयी. नेताओं ने कारखाना प्रबंधन पर श्रमिकों की सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया. कहा कि कारखाने में सुरक्षा व पर्याप्त रोशनी नहीं है, जिससे हादसा हुआ. पिंटू झा नामक व्यक्ति ने बताया कि विकास के शव को अस्पताल ले जाते समय प्रबंधन का कोई प्रतिनिधि नहीं था.उठाये गये सवाल
स्थानीय निवासियों और श्रमिक संगठनों ने यह सवाल उठाया है कि जय बालाजी इंडस्ट्रीज में आये दिन होने वाली दुर्घटनाओं को लेकर क्या फैक्टरी प्रबंधन ने कोई ठोस कदम उठाया है? क्या इन हादसों को रोका जा सकता था?
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