13.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

जीएसटी दर कटौती का लाभ नहीं मिल रहा जनता को

पड़ताल. पिछले 10 दिनों में जीएसटी को लेकर जनता के साथ हो रहा है छल, देशभर से हजारों शिकायतें हुईं दर्ज

शिवशंकर ठाकुर, आसनसोल

आम जनता को राहत देते हुए सरकार ने दुग्ध उत्पाद, दवा, बीमा, छोटे वाहनों सहित रोजमर्रा के उपयोग में आनेवाली करीब 200 से अधिक सामानों पर गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) में भारी कमी की तो दूसरी ओर सिन गुड्स (तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला आदि) तथा महंगे विलासिता के वस्तुओं में जीएसटी दर बढ़ा दी. जिसे 22 सितंबर 2025 से पूरे देश में लागू कर दिया गया. बढ़ी हुई जीएसटी वाले सामानों पर यह नियम 22 सितंबर से ही दुकानदारों ने लागू कर दिया और उपभोक्ता बिना किसी वाद-विवाद के बढ़ी हुई कीमत पर यह सामान खरीद रहे है. लेकिन जिन सामानों पर यह कीमत घटी, उसका लाभ जनता तक 10 दिनों बाद भी सही तरीके से नहीं पहुंच रहा है. इससे संबंधित शिकायत करने को लेकर सरकार द्वारा जारी टोल फ्री नम्बर 1915, व्हाट्सएप नम्बर 8800001915, राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच), एकीकृत शिकायत निवारण तंत्र (इनग्राम) में ग्राहकों की शिकायत की बाढ़ आ गयी है कि उन्हें घटी हुई जीएसटी की कीमत के आधार पर सामान नहीं मिल रहा है. प्रभात खबर ने इसकी पड़ताल की, जिसमें चौकाने वाला खुलासा हुआ. आम जनता को मिलने वाली राहत का लाभ बिचौलिए खा जा रहे हैं और यह राशि इतनी बड़ी है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. प्रभात खबर ने डेयरी प्रोडक्ट के सामानों को लेकर विभिन्न शहरों में पड़ताल की. नतीजा सभी जगह का एक ही है. उत्पाद के पैकेट पर जो एमआरपी लिखा है, दुकानदार उसी कीमत पर सामान बेच रहे हैं. उदाहरण के तौर पर 100 ग्राम के एक बटर की कीमत 62 रुपये थी, जो जीएसटी के नये दर में घटकर 58 रुपये हो गयी है. नया प्रिंट का माल बाजार में उपलब्ध न होने तक 62 रुपये एमआरपी के इस उत्पाद को 58 रुपये में ग्राहक को बेचने का निर्देश सरकार ने जारी किया है. लेकिन ग्राहक को यह 62 रुपये में ही मिल रहा है. डेयरी प्रोडक्ट के थोक विक्रेता अमित अग्रवाल ने कहा कि 15 अक्तूबर तक सारा सामान नये प्रिंट रेट में बाजार में आ जायेगा. उसके बाद से ही ग्राहकों सही तरीके से इसका लाभ मिलेगा.

पुराने प्रिंट रेट पर ही मिल रहा है सामान, दुकानदार कुछ सुनने को नहीं है तैयार

देश के लगभग घर में डेयरी प्रोडक्ट की खपत होती है. इंटरनेशनल मार्केट एनलाइसिस रिसर्च एंड कंसल्टिंग (आइएमएआरसी) ग्रुप की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2024 में डेयरी प्रोडक्ट का बाजार भारत मे 18,975 अरब रुपये का रहा और अनुमानित वार्षिक वृद्धि दर 12.35 की दर से बढ़ रही है. इतने बड़े डेयरी प्रोडक्ट के बाजार में सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए जीएसटी में भारी कटौती की है. कुछ उत्पाद में तो जीएसटी शून्य कर दिया है और बाकी में 18 और 12 प्रतिशत से घटाकर पांच फीसदी कर दिया है. 22 सितंबर से यह लागू हो गया. डेयरी प्रोडक्ट का अधिकांश सामान देश के सभी जगहों पर प्रिंट प्राइस पर ही बिकता है.

जीएसटी घटने के बाद नयी एमआरपी के साथ सामान अभी तक बाजार में पूरी तरह से नहीं आया है, जिसके कारण दुकानदार अपने हिसाब से चल रहे हैं, इसे देखने वाला कोई नहीं है. जिसके कारण आम लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है और जनता को मिलने वाला लाभ बिचौलिये खा जा रहे हैं.

कंपनियों ने अपने उत्पादों के कीमत में की कटौती ग्राहकों को इसका लाभ मिलने में परेशानी

पड़ताल में यह पाया गया कि तीन सितंबर को सरकारी घोषणा के बाद से ही कंपनियां नये जीएसटी रेट के आधार पर अपने उत्पादों के कीमत कम या अधिक करने की तैयारी शुरू कर दी थी और 22 सितंबर को यह लागू होते ही, अपने उत्पादों की कीमत नयी जीएसटी के आधार पर कम कर दिया. कंपनियों से निकलने के बाद यह उत्पाद डिस्ट्रीब्यूटर और सप्लायर (दुकानदार, वेंडर आदि) होकर ग्राहक तक पहुंचता है. पड़ताल के दौरान विभिन्न शहरों में एक दर्जन से अधिक दुकानों से सौ ग्राम के बटर पैकेट खरीदा गया. 22 सितंबर से पहले इसकी कीमत 62 रुपये थी और 22 तारीख के बाद भी यह 62 रुपये में ही बिक रहा था. दुकानदार से जब पूछा गया कि इसकी कीमत तो घटकर 58 रुपये हो गयी है. दुकानदार ने कहा चार रुपये जाकर सरकार से ले लीजिए. जो एमआरपी है, वही लगेगा. उसने बटर का कोई बिल नहीं दिया.

कौन हड़प रहा है आम जनता को मिलनेवाला लाभ ?

पड़ताल के दौरान आसनसोल महकमा के सालानपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत रूपनारायणपुर इलाके में स्थित डेयरी प्रोडक्ट के थोक विक्रेता शक्ति ट्रेडर्स और सुमित्रा इन्टरप्राइसेस के अमित अग्रवाल से बात की गयी. उनके कुछ टैक्स इनवॉइस (बिल) को देखा गया. जिसमें पुष्टि हुई कि 22 सितंबर से कंपनी ने उन्हें जो भी सामान भेजा है, सब पर नये जीएसटी के आधार पर कीमत लगायी गयी है और 22 तारीख से जो भी माल सप्लायर को भेजा है, उसपर नये जीएसटी के आधार पर ही दाम लगाकर बेचा गया है. श्री अग्रवाल ने कहा कि पुराना जीएसटी लगाकर बिल बनेगा ही नहीं, क्योंकि सिस्टम उसे नहीं लेगा. अब दुकानदार अपने ग्राहक को किस कीमत पर सामना बेचेंगे? यह उसपर निर्भर करता है. नया प्रिंट का सामान कुछ ही दिनों में बाजार में आ जायेगा तो स्थिति सामान्य हो जायेगी.

घटी हुई जीएसटी की राशि क्या मिलेगी वापस? क्या कहते हैं एक्सपर्ट

एन वर्मा एंड एसोसिएट्स की सीए नीलम वर्मा ने बताया कि जीएसटी 2.0 लागू होने के पहले (21 सितंबर) तक डिस्ट्रीब्यूटर के स्टॉक में यदि 12, 18 या 28 फीसदी जीएसटी चुकाया हुआ 10 लाख रुपये का सामान मौजूद है, जिसपर जीएसटी घटकर पांच फीसदी हो गयी. अगले दिन उसे पांच फीसदी जीएसटी लगाकर ही सामान बेचना होगा. उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा. दस लाख रुपये के सामान पर चुकाया गया 12, 18 या 28 फीसदी जीएसटी का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) उसके ई-क्रेडिट लेजर में दर्ज रहेगा. वह उन्हें मिल जायेगा. लेकिन जिन उत्पादों पर जीएसटी घटाकर शून्य कर दिया, वह वापस नहीं मिलेगा. हालांकि इस राशि का भुगतान भी उत्पाद खरीदने के दौरान आम जनता को ही करना पड़ता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel