बांकुड़ा : दीपावली को हम रोशनी का त्योहार के रूप में जानते हैं. लेकिन दीपावली मनाने की एक और परंपरा है, घर व आंगन में रंगोली बनाने की परंपरा, जिसे आज भी बांकुड़ा की मारवाड़ी समाज की युवतियों ने संजो कर रखा है. हालांकि आज के आधुनिक दौर में लाईट के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है, किंतु रंगोली की सजावट आज भी बांकुड़ा शहर के कई घरों में देखी जाती है. रंगोली बनाने का अर्थ है जीवन मे खुशियों के रंगों को आमंत्रित करना.
आज मार्केट में तरह तरह के डिजाइनों के रंगोली बनाने हेतु ,किताबें ,रंग उपलब्ध हैं, जहा रंगोली के इस्तेमाल हेतु रंग पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन चावल व फूलों की बनी रंगोली की बात ही कुछ और है. उसे देख कर ही मन आनंदित हो जाता है. इस अवसर पर रंगोली के प्रति उत्साह बढ़ाने हेतु रंगोली सजावट की प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है. कोई आंगन में तो कोई बरामदे में रंगोली बनाने का काम करता है.
धनतेरस के दिन से ही घरों में रंगोली बनाने की शुरुआत हो गयी है. रंगोली बनाने का ऐसा ही नजारा नुतनगंज इलाके में देखा गया, जहां युवतियां सामूहिक रूप से रंगोली बनाने में व्यस्त दिखी. इस मौके पर आर्या शर्मा प्रितिशा शर्मा वर्षा रावत व मंजू शर्मा ने बताया कि प्रत्येक वर्ष दीपावली पर रंगोली बनायी जाती है.
प्रत्येक बार कुछ नई डिजाइन की रंगोली बनायी जाती है. वहीं, अन्य घर की युवतियों में शारदा मिश्रा एवं दीपशिखा पोद्दार का कहना कि रंगोली बनाने में अच्छा लगता है. परिवार के सभी लोग रंगोली बनाने में हांथ बंटाते हैं. रंगोली बनाने का उत्साह सिर्फ बांकुड़ा शहर ही नही बल्कि जिले के अन्य शहरों में भी हिंदीभाषी महिलाओं में रंगोली बनाने का उत्साह नजर आया.