आसनसोल : आसनसोल ग्राम दुर्गोत्सव कमेटी इस वर्ष भी हर्षोल्लास के साथ दुर्गापूजा की तैयारियों में जुटी है. कमेटी सदस्यों ने बताया कि आसनसोल की पहली दुर्गापूजा का आयोजन आसनसोल ग्राम में ही किया गया था. नौकौड़ी राम एवं रामकृष्ण राम ने सबसे पहले पूजा आरंभ की थी. उस समय आसनसोल ग्राम पूरी तरह से […]
आसनसोल : आसनसोल ग्राम दुर्गोत्सव कमेटी इस वर्ष भी हर्षोल्लास के साथ दुर्गापूजा की तैयारियों में जुटी है. कमेटी सदस्यों ने बताया कि आसनसोल की पहली दुर्गापूजा का आयोजन आसनसोल ग्राम में ही किया गया था. नौकौड़ी राम एवं रामकृष्ण राम ने सबसे पहले पूजा आरंभ की थी. उस समय आसनसोल ग्राम पूरी तरह से जंगलों से भरा था.
जंगल में आसन और सोल नाम के पेड़ होने के कारण ही इसका नाम आसनसोल रखा गया.प्रथम बार जंगलों के बीच दुर्गापूजा का आयोजन किया गया. एक-एक कर मां दुर्गा के नौ मंदिर स्थापित किये गये. इस ग्राम के पूजा की विशेषता है कि यहां ग्राम के नौ मंदिरों में एक साथ ही दुर्गादेवी की प्रतिमा स्थापित कर विधिवत पूजा अर्चना की जाती है.
आसनसोल ग्राम की पूजा पुराने पारंपरिक विधि से ही की जाती है. पूजा के दौरान कीर्तन, हवन, सांस्कृतिक कार्यक्रम नृत्य, संगीत एवं प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है. ग्रामवासी प्राचीन परंपरा के अनुसार नारियल के लड्डू बनाकर मां को चढाते हैं और लड्डू को प्रसाद स्वरूप भक्तों के बीच वितरित किया जाता है. पंचवी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी नवमी में ग्रामवासी एक साथ मिलकर पूजा का आनंद लेते हैँ.