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हैप्पी नहीं रह गया ग्रीटिंग्स का बाजार

दुर्गापुर : बीते कुछ वर्ष पहले नववर्ष के समय शहर के ग्रीटिंग्स कार्ड्स की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ लगी रहती . लेकिन वर्तमान समय में यह नजारा दुर्लभ हो गया है. दुर्गापुर के बेनाचिति, सिटी सेंटर, चंडीदास मार्केट, स्टेशन बाजार सहित आस-पास के अन्य बाजारों में कुछ ख़ाश ऐसी दुकानें थीं जहाँ विभिन्न मौकों […]

दुर्गापुर : बीते कुछ वर्ष पहले नववर्ष के समय शहर के ग्रीटिंग्स कार्ड्स की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ लगी रहती . लेकिन वर्तमान समय में यह नजारा दुर्लभ हो गया है. दुर्गापुर के बेनाचिति, सिटी सेंटर, चंडीदास मार्केट, स्टेशन बाजार सहित आस-पास के अन्य बाजारों में कुछ ख़ाश ऐसी दुकानें थीं जहाँ विभिन्न मौकों के लिए विशेष ग्रीटिंग्स कार्डों की बिक्री होती थी. मगर आज के समय में आर्चीज गैलरी, पेपर क्राफ्ट, रोज ग्रीटिंग्स आदि दुकानों के नाम कोई जानता ही नहीं.

वर्तमान में ग्रीटिंग्स कार्ड्स की दुनिया अब केवल कुछ स्टेशनरी दुकानों तक ही सीमित रह गयी है. ज्यादा मांग नहीं रहने पर दुकानदार भी ज्यादा वैराइटी के मॉल रखने में दिलचस्पी नहीं रखते है. कुछ दुकानदार तो पुराने कार्ड्स को मौके पर झाड़-पोंछ कर सजा देते है एवं अवसर गुजर जाने पर पुनः उसे पैक कर रख देते है. ज्योति स्टेशनरी के मालिक नरेश पाश्वान ने बताया कि पहले तो इंटरनेट तथा मोबाइल संदेशों की चोट से कार्डों का बाजार खासा प्रभावित हुआ था.

लेिकन बीते दो तीन वर्षोंं से फेसबुक, व्हाट्सएप आदि की मार से यह उद्योग खत्म होने के कगार पर है. कॉलेज छात्र सुबीर पाल ने कहा िक 100-150 रुपये तथा घंटे भर का समय खर्च कर एक व्यक्ति को ग्रीटिंग देकर शुभकामना देने के बजाय मोबाइल इंटरनेट के जरिये विभिन्न माध्यमों से कम ख़र्च व कम समय में कई लोगों को शुभकामना संदेश भेज देना अधिक सुविधाजनक हो गया है.

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