अब उसे लिफाफे में तबादले का नोटिस मिल गया था. इतना ही नहीं उसे लिफाफे में अस्पताल प्रबंधन द्वारा जारी रीलिज आर्डर भी है. यानि अर्पिता को रायगंज अस्पताल ने छोड़ दिया है. इस नोटिस के मिलने के बाद से ही अर्पिता परेशान है. उनका कहना है कि यह प्रबंधन की ओर से बदले की कार्यवाइ है.प्राप्त जानकारी के अनुसार अर्पिता रायगंज जिला अस्पताल के सीसीयू में नर्सिंग इचार्ज के पद पर कार्यरत थी. 31 मार्च को उन्होंने इस अस्पताल तथा सीसीयू की कई समस्याओं को लेकर कुछ तस्वीर अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर डाल दी थी.उन्होंने यह भी लिखा था कि सीसीयू में वाशिंग मशीन खराब है.
अस्पताल प्रबंधन को कई बार इस बात की जानकारी दी गयी,लेकिन इसकी मरम्मत नहीं करायी गयी है.वाशिंग मशीन खराब रहने से नर्सों और रोगियों को काफी परेशानी हो रही है.उन्होने अपने पोस्ट में आगे लिखा कि एक ओर राज्य की मुख्यमंत्री और राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की जोरदार कोशिश की जा रही है,वहीं दूसरी ओर अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं.अर्पिता का यही लिखना भारी पड़ गया. इस अस्पताल के अधिकारियों में तो खलबली मची ही,साथ ही राज्य स्वस्थ्य विभाग के अधिकारी भी नाराज हो गए. आखिरकार इसका खामियाजा अर्पिता को भुगतना पड़ा है.
इस घटना के बाद से स्वासथ्य विभाग के अधिकारियों ने उनसे कई बार पूछताछ की.उन्होंने अधिकारियों को भी बार-बार यही बताया कि इस समस्या की कई बार जानकारी देने के बाद भी कोइ पहल नहीं की गयी.उल्टे उन्हें ही परेशान किया जाता रहा.अब अचानक अलीपुरद्वार अस्पताल तबादला कर दिया गया है.अर्पिता का कहना है कि मुख्यमंत्री की समर्थक हैं. ममता बनर्जी स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने की लगातार कोशिश कर रही हैं.अधिकारियों की लापरवाही की वजह से ही ममता बनर्जी की योजनाओं पर काम नहीं हो पा रहा है.सरकारी अधिकारी निजी नर्सिग होमों को बढ़ावा देने के लिए ही योजनाओं को कारगर तरीके से लागू नहीं कर रहे हैं.