कोलकाता: काम के दौरान असम में गुस्से में दो बीएसएफ अधिकारियों को गोली मार पर फांसी की सजा पानेवाला एक कैदी दो राज्यों के कानूनी दांव पेंच में फंस कर अपने राज्य लौट नहीं पा रहा है.
सजा प्राप्त कैदी का नाम बलबीर सिंह है. वर्ष 2005-06 में असम में दो बीएसएफ अधिकारियों को गोली मारने के आरोप में वर्ष 2007 में बीएसएफ कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनायी थी, जिसके बाद गृह मंत्रलय में उसने माफी नामा को लेकर आवेदन किया. उसकी अर्जी पर सुनवाई करते हुए वर्ष 2009 में गृह मंत्रलय ने भी उसके फांसी की सजा को बरकरार रखा, जिसके बाद बलबीर के घरवालों ने उच्चतम न्यायालय में उसके फांसी के निर्देश पर सुनवाई की गुहार लगायी है. इस मामले में फैसला विचाराधीन है.
अंतिम दिन अपने राज्य में गुजारना चाहता है बलबीर
जेल सूत्रों के मुताबिक असम के जेल में फांसी की सजा देने का कोई इंतजाम नहीं होने के कारण उसे कोलकाता के अलीपुर जेल में भेज दिया गया. इसके बाद से वह अलीपुर जेल में सजा काट रहा है. जेल सूत्रों का कहना है कि फांसी की सजा प्राप्त कैदी के लिए हवालात अधिनियम 1894 में यह कहा गया है कि अगर वह चाहे तो फांसी पर चढ़ने के पहले अपने राज्य के किसी जेल में सजा काट सकता है, जिसके तहत बलबीर ने जेल के वरिष्ठ अधिकारियों के पास लिखित आवेदन कर अपने राज्य हरियाणा लौटने की इच्छा जाहिर की, जिससे जिंदगी के अंतिम दिनों में वह अपने राज्य में रहने के कारण घरवालों से मिल सके.
सुनवाई नहीं होने पर मानवाधिकार आयोग ने मांगी थी रिपोर्ट
अलीपुर जेल सूत्रों के मुताबिक बलबीर के कई बार आवेदन के बावजूद उसे इसका जवाब नहीं मिलने पर उसने इसकी जानकारी मानवाधिकार आयोग को भी दी थी और उनसे न्याय मांगा था, जिसके बाद मामले की सुनवाई करते हुए राज्य मानवाधिकार आयोग ने जेल प्रबंधन से इसकी रिपोर्ट मांगी थी. राज्य के जेल प्रबंधन की तरफ से हरियाणा सरकार तक एक बार फिर बलबीर ने अपनी इच्छा पहुंचायी है, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी मामला अधर में लटका पड़ा है.
आवेदन के बावजूद हरियाणा सरकार ने नहीं दिया जवाब
बलबीर के मामले को लेकर राज्य के एडीजी व आइजी (कारागार) अधीर शर्मा बताते है कि बलबीर के तरफ से अपने राज्य में लौटने का आवेदन मिलने के बाद मामले में कई बार हरियाणा सरकार से बात की गयी, लेकिन हर बार उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला. कई बार वहां के डीजी (कारागार) जसपाल सिंघल से भी बात हुई, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला, जिसके कारण कानून में ऐसा प्रावधान होने के बावजूद उसे अपने राज्य में लौटने नहीं दिया जा रहा है. वहीं, इस मामले में जेल के ही कुछ वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि अन्य कुछ राज्यों की तरह हरियाणा में भी जेल में फांसी देने की पर्याप्त सुविधा नहीं है, इसलिए उसे हरियाणा सरकार अपने जेल में रखने से कतरा रही है. लिहाजा दो राज्यों के पेंच में फंसा बलबीर रोजाना अपने राज्य लौटने का दिन गिनने को मजबूर है.