हरीश तिवारी
लखनऊ: यूपी बोर्ड के अध्यापक एक बार फिर विद्यार्थी की तरह पढ़ाई करते नजर आएंगे. चौकिए मत. असल में यूपी सरकार ने राज्य के स्कूलों में इस सत्र से एनसीइआरटी की किताबें लागू की हैं. शिक्षकों को बच्चों का पढ़ाने में कोई दिक्कत न हो, इसलिए इन पुस्तकों को पहले अध्यापक पढ़ेंगे फिर बच्चों को पढ़ाएंगे. इन शिक्षकों की जुलाई में ट्रेनिंग होगी फिर अगस्त से शिक्षक बच्चों को पढ़ाएंगे.
असल में यूपी बोर्ड ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीइआरटी) के पाठ्यक्रम पर आधारित किताबों को पढ़ाने का फैसला किया है, लेकिन इन पुस्तकों को पढ़ाने का अनुभव अभी तक शिक्षकों को नहीं है. लिहाजा यूपी बोर्ड से जुड़े 26 हजार से अधिक स्कूलों के शिक्षकों को स्कूलों में पढ़ाने से पहले प्रशिक्षण दिया जाएगा. माध्यमिक शिक्षा निदेशक एवं बोर्ड ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को चार जुलाई को पत्र भेजकर प्रशिक्षण के संबंध में निर्देश दिए हैं.
दसअसल पहली बार एनसीइआरटी की किताबें प्रचलन में लायीगयी हैं. प्रदेश के छात्र इन किताबों की विषयवस्तु को भली-भांति समझ सकें, इसके लिए एक टाइम टेबल बनाकर विषय से संबंधित शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है. इसके लिए प्रत्येक जिले में सीबीएसइ से संबद्ध स्कूलों के अनुभवी एवं योग्य सेवानिवृत्त 40 शिक्षकों को रिसोर्स पर्सन के रूप में तैयार करते हुए प्रत्येक ब्लाक में विषयवार प्रवक्ता स्तर के 40 अध्यापकों को ट्रेनिंग दिलाई जाएगी. ये अध्यापक ब्लाकों में मास्टर ट्रेनर की भूमिका निभाएंगे और अपने ब्लाक के सभी स्कूलों के संबंधित विषय के शिक्षकों को ट्रेनिंग देंगे. बोर्ड ने 201-19 के सत्र से 18 विषयों की 13 नयी किताबें लागू की हैं. माना जा रहा है कि इस ट्रेनिंग से गणित सहित कई विषयों के टीचरों को फायदा होगा.
बोर्ड की सचिव नीना गुप्ता का कहना है कि मास्टर ट्रेनर्स का प्रशिक्षण जिला मुख्यालय में स्थित राजकीय इंटर कॉलेज या ख्यातिलब्ध विद्यालय में किया जाएगा जबकि ब्लाक स्तर पर प्रशिक्षण आवश्यक सुविधाओं से युक्त किसी विद्यालय में होगा. सभी डीआइओएस को जुलाई में ट्रेनिंग कराने के निर्देश दिए गए हैं ताकि अगस्त से बच्चों को पढ़ाया जाए सके.