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Noida Twin Tower: ट्विन टॉवर ढहने के साइड इफेक्ट्स, सेहत को कमजोर न करे दे मलबे से निकला प्रदूषण और गैस

Noida Twin Tower चिकित्सकों ने ट्वीव टॉवर के आसपास रह रहे और सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों को अधिक सावधानी बरतने तथा संभव हो तो कुछ दिन इलाके से दूर रहने की सलाह दी है.

Noida Twin Tower: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लगे उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित सेक्टर 93ए में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी में बने ट्विन टावर को रविवार दोपहर जमीदोज़ कर दिया गया. इस धमाके के चलते वहां से हटाए गए नजदीक के रिहायशी इमारतों में रहने वाले करीब 100 परिवार रविवार रात तक अपने घरों में लौट आए. वहीं ट्विन टावर ध्वस्त होने के बाद इससे निकले धूलकण पांच किलोमीटर तक के इलाके को प्रभावित करेंगे. एक सप्ताह तक सांस रोगियों के साथ ही सामान्य लोगों की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

चिकित्सकों ने ट्वीव टॉवर के आसपास रह रहे और सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों को अधिक सावधानी बरतने तथा संभव हो तो कुछ दिन इलाके से दूर रहने की सलाह दी है. ट्विन टावर को ध्वस्त करने से अनुमानित 80 हजार टन मलबा निकला है और विस्फोट के दौरान हवा में धूल का गुबार देखने को मिला. चिकित्सकों का कहना है कि अधिकतर धूल कण का आकार पांच माइक्रोन के व्यास या इससे कम है जो तेज हवा और बारिश की अनुपस्थिति जैसे अनुकूल मौसमी दशाओं में कुछ दिन वातावरण में ही बने रह सकते हैं. उन्होंने कहा कि धूल कण से हुए भारी प्रदूषण की वजह से आंखों में जलन, नाक और त्वचा में खुजली, खांसी, छींक, सांस लेने में परेशानी, फेफड़ों में संक्रमण, नाक बंद होने की समस्या पेश आ सकती है.

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सफदरजंग अस्पताल में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ.जुगल किशोर ने कहा, ‘‘हवा की गति कम होने की वजह से धूल कण कुछ समय तक हवा में ही रह सकते हैं. जो लोग श्वास की समस्याओं जैसे कि दमा और ब्रोंकाइटिस का सामना कर रहे हैं, उन्हें संभव हो तो कुछ दिन उस इलाके में जाने से बचना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे लोगों को कम से कम 48 घंटे तक प्रभावित इलाके में जाने से बचना चाहिए. जो लोग आसपास के इलाके में रह रहे हैं उन्हें कुछ दिन व्यायाम नहीं करना चाहिए.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वायु गुणवत्ता प्रयोगशाला के पूर्व प्रमुख डॉ. दीपांकर साहा ने कहा कि जब तक मलबा हटाया नहीं जाता, तब तक नोएडा प्राधिकरण को सस्ते सेंसर की मदद से वायु प्रदूषण के स्तर पर नजर रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जबतक मलबा का निस्तारण नहीं हो जाता, वायु प्रदूषण की समस्या बनी रहेगी और लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है. गौरतलब है कि दिल्ली के ऐतिहासिक कुतुबमीनार से भी ऊंचे दोनों इमारतों को रविवार को 3,700 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल कर ध्वस्त कर दिया गया.

रिपोर्ट भाषा इनपुट के साथ

Prabhat Khabar News Desk
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