चक्रधरपुर : कुपोषित बच्चों के उपचार के लिए सितंबर 2013 में चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल में कुपोषण उपचार केंद्र स्थापित की गयी, जिसमें 10 बेड की व्यवस्था है. यहां भरती होने वाले बच्चाें का तो इलाज होता है, लेकिन इन बच्चों की माताअों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है. यहां तक की इन माताअों को भोजन की व्यवस्था भी खुद से करनी पड़ती है. कारण यह है कि कुपोषित बच्चों का इलाज करीब 15 दिनों तक चलता है
और ये बच्चे बिना अपनी मां के रह नहीं पाते. वहीं अस्पताल प्रबंधन द्वारा इन माताअों के लिए किसी तरह की व्यवस्था नहीं की जाती. यहां भरती बच्चों की माताएं रतनी महाली, शकुंतला हाइबुरू, आसाइ गुंदुवा, पूनम महाली, गुरूवारी दोराई, विशांगी हेंब्रम ने बताया कि यहां भोजन पकाने के लिए भी किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं है. इस कारण हमें अस्पताल की छत व सीढ़ी पर लकड़ी का चूल्हा बना कर भोजन पकाना पड़ता है.
बारिश के दिनों में भोजन पकाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बच्चों के साथ मां को भी अस्पताल में रहना पड़ता है. इसके लिए अपने साथ चावल, लकड़ी, बरतन व बिस्तर लेकर अस्पताल में रहना पड़ता है. उन्होंने कहा कि भोजन पकाने के लिए अस्पताल में ही एक कमरे की व्यवस्था होनी चाहिए. बच्चों का इलाज पूरा होने के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रोत्साहन राशि के तौर पर हर दिन का सिर्फ सौ रुपया दिया जाता है.
सात प्रखंड के बच्चे आते हैं केंद्र : अनुमंडल के इस एकमात्र कुपोषण उपचार केंद्र में सातों प्रखंड से कुपोषित बच्चे उपचार के लिए आते हैं. इनमें आनंदपुर, मनोहरपुर, बंदगांव, सोनुवा, गोइलकेरा, गुदड़ी व चक्रधरपुर प्रखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्र के कुपोषित बच्चे केंद्र में इलाज के लिए आते हैं. यहां कार्यरत एएनएम संध्या मिंज, गायत्री शंख, कुमारी पूनम व अंजू कुमारी द्वारा लगातार 15 दिनों तक बच्चाें को दूध, दवा समेत पौष्टिक आहार दिया जाता है.
15 दिनों के बाद सुधार होने पर छोड़ दिया जाता है.
अनुमंडल अस्पताल : माताएं खुद लेकर आतीं हैं बरतन व बिस्तर, रहती हैं अपने हाल पर
तीन साल में 320 कुपोषित बच्चों का उपचार
सितंबर 2013 से स्थापित अनुमंडल अस्पताल के इस कुपोषण उपचार केंद्र में 2016 अगस्त तक 320 कुपोषित बच्चों का उपचार किया गया है. 2016 के जनवरी में 02, फरवरी में 01, मार्च में एक भी नहीं, अप्रैल में 01, मई में 21, जून में 20, जुलाई में 20 व अगस्त में 13 कुपोषित बच्चों का उपचार किया गया. फिलहाल अस्पताल में छह बच्चे भरती हैं. इनमें दलकी गांव निवासी विशाल महाली (30 माह का), ढ़ीपासाई की पूजा हेंब्रम (24 माह), हरजोड़ा निवासी सुखदेव महाली (18 माह), लांडुपदा निवासी कौरी भुइयां(7 माह), लक्ष्मी पोसी निवासी दोनों हाइबुरू (14 माह), लाडुपोदा निवासी मुगुई दोराई(16 माह) के शिशु अस्पताल में भरती हैं.
चाईबासा से संचालित होता है केंद्र : डॉ सोरेन
अनुमंडल अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ आरएन सोरेन ने कहा कि चक्रधरपुर में स्थित कुपोषण उपचार केंद्र का संचालन चाईबासा कुपोषण उपचार केंद्र से होता है. इसका इंचार्ज डॉ जगन्नाथ हेंब्रम है. उन्होंने कहा कि फंड मुहैया होने से कुपोषित बच्चों की माताओं के लिए पाकशाला की व्यवस्था की जायेगी.