सिमडेगा. जैन भवन में वाणी भूषण आचार्य डॉ पद्मराज स्वामी जी महाराज के सान्निध्य में महापर्व पर्यूषण का शुभारंभ हुआ. समापन क्षमापना के साथ बुधवार 28 अगस्त को होगा. आचार्य डॉ पद्मराज स्वामी जी महाराज की अगुवाई में जैन सभा के पदाधिकारियों ने प्रात: कलश यात्रा निकाल कर महापर्व का स्वागत किया. प्रतिदिन 12 घंटे का अखंड पाठ किया जा रहा है. महाराज जी ने बताया कि वर्तमान में तीर्थकर महावीर की वाणी 32 आगमों में संकलित हैं, जिनमें से 11 अंग सूत्र और उत्तराध्ययन सूत्र प्रमुख हैं. उन्होंने बताया कि आयुष्य कर्म की अल्पता के कारण ब्रह्मज्ञान प्राप्त साधकों का ज्ञान प्राप्त करते मुक्त हो जाने को अंतकृत केवली कहा जाता है. उनके प्रेरणामय कथानक को अंत कृत केवली कथा कहा जाता है. आचार्य जी ने बताया कि अपने जीवन के हर प्रदूषण को दूर कर स्वच्छ बनाने का पर्व है. द्वारवती नगरी के राजकुमार गौतम का मार्मिक चरित्र सुनाते हुए बताया कि जीवन में व्यक्ति को पूर्ण संतोष तभी मिलता है, जब वह अध्यात्म की शरण में पहुंच जाता है. राजकुमार गौतम ने भी तीर्थकर अरिष्टनेमी जी के मार्गदर्शन में जब स्वयं को अध्यात्म के लिए समर्पित किया और कठिन तपस्या की तभी उन्हें समाधान और संतोष प्राप्त हुआ. जैन सभा के समस्त पदाधिकारी व सदस्यों की तरफ से समस्त श्रद्धालुओं को निमंत्रित किया गया है. वे सभी बहुमूल्य अवसर का लाभ उठायें और सभी कार्यक्रमों में शामिल हों.
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