साहिबगंज : झारखंड अल्पसंख्यक प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय शिक्षक शिक्षकेत्तर समन्वय समिति के जिला कमेटी के बैनर तले मंगलवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर जिले के गैर सरकारी सहायता प्राप्त अनुदानित छह स्कूल के 60 शिक्षकों ने काला बिल्ला लगाकर समाहरणालय के समक्ष प्रदर्शन किया. समिति के अध्यक्ष चार्लेस सोरेन के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल डीडीसी नैन्सी सहाय को ज्ञापन सौंपा. डीडीसी से मिलने वाले शिष्टमंडल में संत जॉन वर्क्स मेन मुडली मिशन उच्च व मध्य विद्यालय, धर्मपुर बालिका संत थॉमस उच्च विद्यालय बरहरवा, प्राथमिक विद्यालय तालझारी,
प्राथमिक विद्यालय घटियारी के 60 शिक्षक व शिक्षिका ने अपनी मांगों को लेकर काला बिल्ला लगाया. इस अवसर पर संयोजक फादर आनंद प्रकाश मिंज, अध्यक्ष चार्लेस सोरेन, सचिव पंकज प्रसाद सिन्हा, पोलूस हेंब्रम, सिस्टर मलेसिया, अजय कुमार, मुस्ताक अहमद, फूलचंद हेंब्रम, कुसुम बाड़ा सहित दर्जनों शिक्षक उपस्थित थे.
कार्यक्रम : पांच सितंबर 2017 मंगलवार को प्रत्येक विद्यालय में काला बिल्ला लगाकर शिक्षक दिवस का बहिष्कार किया गया. 19 सितंबर 2017 मंगलवार को राज्यस्तरीय जुलूस एवं प्रदर्शन कर माननीय मंत्री स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को सचिवालय में ज्ञापन सौंपा जायेगा. जुलूस एवं प्रदर्शन श्रीकृष्णा पार्क डोरंडा डोरंडा कॉलेज के सामने 11 बजे पूर्वाह्न से प्रारंभ होगा. सभी शिक्षा कर्मी पूर्वाह्न 11 बजे उक्त स्थान पर उपस्थित होंगे 19 सितंबर 2017 को शिक्षाकर्मी सामूहिक अवकाश पर रहेंगे. इसकी सूचना विद्यालय सचिव को अवश्य देने का निर्णय लिया गया. कार्यक्रम के बाद शिक्षाकर्मियों की समस्याओं का समाधान नहीं होने पर अगली रणनीति तय की जायेगी एवं चरणबद्ध आंदोलन समस्याओं के समाधान होने तक जारी रहेगा. जिले में समन्वय समिति का गठन यथाशीघ्र कर दिया ओर अपनी चट्टानी एकता को प्रदर्शित करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाने का निर्णय लिया गया.
छह स्कूलों के 60 शिक्षकों ने काला बिल्ला लगा कर किया प्रदर्शन
क्या है मांगें
गैर सरकारी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षाकर्मियों की समस्याओं यथा सातवां वेतनमान नवीन अंशदायी पेंशन योजना 2004 अर्जित अवकाश के समतुल्य नकद भुगतान परिवहन भत्ता आदि पर गहन विचार विमर्श किया गया. शिक्षाकर्मियों की उक्त समस्या व सरकार की भेदभावपूर्ण नीति के कारण वर्षों से लंबित है. यह स्पष्ट तौर पर नजर आ रही है. सरकार मुख्य समस्याओं से ध्यान हटाने के लिए नयी समस्या खड़ी कर देती है. माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षाकर्मियों का भौतिक सत्यापन निरीक्षण के बहाने वेतन को रोकना प्रत्यक्ष प्रमाण है.