रांची. बीजों के माध्यम से आनेवाले नुकसानदेह विषाणुओं से बचाव और बेहतर उत्पादकता पर जोर हो. इसके लिए केवल प्रमाणित बीज एवं रोपण सामग्री का ही उपयोग करें. नियंत्रण की तुलना में बचाव हमेशा श्रेयस्कर है. ये बातें प्रोफेसर डॉ वीके बर्णवाल ने कहीं. डॉ बर्णवाल बीएयू में आधुनिक जांच उपकरणों द्वारा विषाणु जनित रोगों की पहचान एवं प्रबंधन विषय पर आमंत्रित व्याख्यान दे रहे थे. इस मौके पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नयी दिल्ली के पौधा रोग प्रभाग के प्रोफेसर डॉ वीके बर्णवाल ने कई अहम जानकारियां दीं.
10 हजार से अधिक विषाणुओं की हुई पहचान
उन्होंने कहा कि सब्जी फसलों में बीजोपचार और मल्चिंग विषाणुओं तथा वायुजनित कीड़ों के नियंत्रण का एक प्रभावी उपाय है. उन्होंने कहा कि दुनिया भर की शोध संस्थाओं द्वारा अब तक 10 हजार से अधिक विषाणुओं की पहचान की गयी है. इसमें लगभग 4000 पौधों के विषाणु हैं. ये सतह तथा हवा में फैलते हैं. डॉ बर्णवाल ने कहा कि वायरस की प्रजातियों की पहचान, जांच और विश्लेषण के लिए पिछले पांच दशकों में एलिसा और पीसीआर दो महत्वपूर्ण तकनीकें विकसित की गयी हैं. पौधों में एक साथ कई विषाणु रोगों का प्रकोप हो सकता है. कार्यक्रम की अध्यक्षता बीएयू के कुलपति डॉ एससी दुबे ने की. कृषि संकाय के डीन डॉ डीके शाही ने स्वागत भाषण तथा डॉ लाम दोर्जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया. पौधा रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ एचसी लाल ने अतिथि वक्ता डॉ बर्णवाल का परिचय दिया.
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