रांची. भारतीय संविधान के आर्टिकल-39ए में मुफ्त कानूनी सहायता का प्रावधान है. नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी एक्ट लागू है. इसके लिए झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डालसा) से संपर्क कर सकते हैं. सिविल मामलों में सामाजिक व आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त कर सकते हैं. वहीं, क्रिमिनल मामलों में सभी मुफ्त कानूनी सहायता ले सकते हैं. उक्त बातें झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता अनूप कुमार अग्रवाल ने कही. वह शनिवार को प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में पाठकों के सवालों पर कानूनी सलाह दे रहे थे.
रांची के मनोहर प्रसाद चाैधरी का सवाल :
मेरा पुत्र राज्यसभा में नाैकरी करता था. कोरोना संक्रमण से उसकी माैत हो गयी थी. अनुकंपा के आधार पर उसकी पत्नी की नाैकरी लगी, लेकिन अब वह परिवार का ख्याल नहीं रख रही है. वह मेरा भी ख्याल नहीं कर रही है. जीना कठिन हो गया है. क्या करें?अधिवक्ता की सलाह :
देखिये, आप राज्यसभा सचिवालय के पास लिखित आवेदन करें तथा अपनी समस्या की जानकारी दें. तब भी समाधान नहीं होता है, तो राज्यसभा के उच्चाधिकारियों को लिखें. जरूरत पड़े, तो आप कानून का सहारा ले सकते हैं. अनुकंपा पर नाैकरी हुई है, तो उन्हें आपके परिवार की देखभाल करनी होगी.इंद्रप्रस्थ कॉलोनी के वासुदेव पाठक का सवाल :
बिहार में उनकी अचल संपत्ति है. फर्जी तरीके से दूसरे लोग उनकी जमीन बेच रहे हैं. वह बीमार हैं तथा असमर्थ हैं. कहीं जा नहीं सकते हैं. वह क्या करें?अधिवक्ता की सलाह :
इसके लिए आपको संबंधित जिले के सीओ, एसडीओ व डीएम को लिखित में आवेदन देना होगा. संबंधित थाना में क्रिमिनल केस भी दायर कर सकते हैं. जाने में असमर्थ हैं, तो किसी को अधिकृत कर सकते हैं. आपकी तरफ से वह अधिकृत व्यक्ति कार्रवाई का आग्रह करेगा.हजारीबाग के रामकुमार यादव का सवाल : हजारीबाग में उनकी जमीन है. जमीन पर बिना उनकी अनुमति लिये एक व्यक्ति ने कब्जा कर लिया है. उस पर घर बना लिया है. अब क्या करें?अधिवक्ता की सलाह :
देखिए, आप अपनी जमीन खाली कराने के लिए पहले एसडीओ कोर्ट जा सकते हैं. उसके आदेश से संतुष्ट नहीं होने पर जमीन खाली कराने के लिए सिविल कोर्ट में भी शूट दाखिल कर सकते हैं.रांची के श्रीराम का सवाल :
वह बैंक में नाैकरी करते थे, 2023 में उन्हें सेवा से हटा दिया गया. अपील का भी आदेश आ गया है. वह क्या करें?अधिवक्ता की सलाह :
आप यदि आदेश से संतुष्ट नहीं हैं, तो संबंधित राज्य के हाइकोर्ट में याचिका दायर कर उसे चुनाैती दे सकते हैं.रामगढ़ के मनोज कुमार सिंह का सवाल :
एमआइएसपीएल कंपनी में वह अभियंता के पद पर काम करते थे. कंपनी ने 18 माह का वेतन नहीं दिया है. मांगने पर भी नहीं मिल रहा है. लीगल नोटिस भी किया, लेकिन जवाब नहीं आया है, क्या करें?अधिवक्ता की सलाह :
आप ऑफिसर के पद पर थे. इसलिए आप रामगढ़ सिविल कोर्ट में शूट दायर कर सकते हैं.हजारीबाग के मनोज प्रसाद का सवाल :
चार प्लॉट में जमीन है. उसकी एक रसीद कटती थी. अब ऑनलाइन में अलग-अलग प्लॉट कर दिया गया है. सुधार के लिए कई बार आवेदन दिया, लेकिन सुधार नहीं हो रहा है, क्या करें?अधिवक्ता की सलाह :
लिखित देने के बाद भी कोई सुधार नहीं हो रहा है, तो आप हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर कर सकते हैं.रजरप्पा प्रोजेक्ट से आरएन सिंह का सवाल :
वह डीएलएफ पावर लिमिटेड कंपनी में ऑफिसर के रूप में काम करते थे. कंपनी पीएफ भी काट रही थी, लेकिन पीएफ की राशि नहीं दी जा रही है. पीएफ अथॉरिटी ने भी आदेश दिया, लेकिन भुगतान नहीं हो रहा है.अधिवक्ता की सलाह :
आदेश आ गया. उसे लागू कराने का पीएफ अथॉरिटी से आग्रह करें. पीएफ का भुगतान नहीं होने पर उस आदेश को लेकर हाइकोर्ट में रिट दायर कर सकते हैं.इन लोगों ने भी ली सलाह :
हजारीबाग के मुकेश कुमार, गुमला के राजकिशोर ओहदार, रांची के अंजनी कुमार, धुर्वा के पंकज कुमार, रांची के अमित भगत आदि ने भी लीगल काउंसेलिंग में कानूनी सलाह ली. सबसे ज्यादा सवाल जमीन, आपराधिक व सर्विस मामलों से संबंधित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है