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फोर्ब्स की सूची में रांची के यशु और बोकारो की उदिता का नाम

झारखंड के दो युवाओं ने उद्यमिता के क्षेत्र में अपनी अलग सोच और इनोवेटिव स्टार्टअप की बदौलत दुनिया की प्रतिष्ठित ‘फोर्ब्स मैगजीन’ के ‘फोर्ब्स-30, अंडर-30’ (एशिया सूची-2024) में अपनी जगह बनायी है.

प्रभात खबर टोली (रांची). झारखंड के दो युवाओं ने उद्यमिता के क्षेत्र में अपनी अलग सोच और इनोवेटिव स्टार्टअप की बदौलत दुनिया की प्रतिष्ठित ‘फोर्ब्स मैगजीन’ के ‘फोर्ब्स-30, अंडर-30’ (एशिया सूची-2024) में अपनी जगह बनायी है. इस सूची में शामिल होकर विश्व पटल पर अपने देश और राज्य का नाम रोशन करनेवाले झारखंड के युवाओं में रांची निवासी यशु अग्रवाल और बोकारो की उदिता राय शामिल हैं. बता दें कि ‘फोर्ब्स-30, अंडर-30’ फोर्ब्स की ओर से जारी की जानेवाली एक वार्षिक सूची है, जो उन 30 प्रभावशाली युवा उद्यमियों को पहचान देती है, जिन्होंने अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं. फोर्ब्स ने इस बार सूची में एशिया के अलग-अलग क्षेत्र से जुड़े युवाओं को शामिल किया है.

जुनून से खड़ा किया दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा क्रिप्टो पेमेंट गेटवे :

यशु अग्रवाल दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा क्रिप्टो पेमेंट गेटवे बन चुके ‘ट्रांसक’ के को-फाउंडर और मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी (सीटीओ) हैं. यशु ने 12वीं तक की पढ़ाई ब्रिजफोर्ड स्कूल से पूरी की. 12 साल की उम्र से ही यशु की रुचि प्रोग्रामिंग में थी. इसलिए उन्होंने प्रौद्योगिकी और उद्यमिता के प्रति अपने जुनून को ही अपना करियर बना लिया. यशु के नेतृत्व में ‘ट्रांसक’ ने उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं. इसमें साल 2023 में 166 करोड़ रुपये की सीरीज ए फंडिंग जुटाना भी शामिल है. आज यह कंपनी 160 से अधिक देशों में 50 लाख से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ताओं को अपनी सेवाएं उपलब्ध कराती है. वहीं, 350 से अधिक वेब कंपनियों को सपोर्ट देती है. कंपनी ने अपने उपयोगकर्ताओं के लिए निर्बाध क्रिप्टो करंसी लेन-देन को सुविधाजनक बनाने के लिए ‘वीजा’ के साथ साझेदारी की है. यशु एक सीरियल उद्यमी हैं, जिन्होंने चार कंपनियों की स्थापना की है. अपनी उपलब्धि को लेकर यशु कहते हैं : अपने विचारों पर विश्वास करें और आगे बढ़ें. यहां अपार प्रतिभा और क्षमता है.

तीन साल में ही सात देशों तक बनायी पहुंच :

उदिता राय ने शुरुआती शिक्षा बोकारो से ही पूरी की. सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड से मास कम्यूनिकेशन की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने बेंगलुरु की एक कंपनी में जॉब किया. उसी दौरान उन्हें स्टार्टअप का आइडिया आया. 2020 में इन्होंने अंकित पराशर के साथ ‘साल्ट पी’ नाम की कंपनी की नींव रखी. ये कंपनी विदेशी मुद्रा विनिमय का काम करती हैं. आज इनकी कंपनी सात देशों के लिए काम करती हैं. उदिता फिलहाल बेंगलुरु में रह कर कंपनी को आगे बढ़ा रही हैं. कंपनी में अभी कुल 33 लोग काम करते हैं. उदिता कहती हैं : फोर्ब्स की सूची में मेरा नाम आना पिताजी का सपना था. कहा कि अगर मेरी उपलब्धि से झारखंड के युवाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है, तो यह मेरे लिए गर्व की बात है.

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Prabhat Khabar News Desk
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