रांची. स्मार्ट फ्रेट सेंटर इंडिया (एसएफसी) ने बुधवार को राजधानी में जीरो एमिशन ट्रकों पर कार्यशाला का आयोजन किया. झारखंड सरकार के उद्योग विभाग के सहयोग से आयोजित कार्यशाला में परिवहन जगत के प्रमुख विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया. इस दौरान वैश्विक परिवहन प्रणाली में हो रहे बदलाव, भारत सरकार की ई-ट्रक पहल व शहरों में जीरो एमिशन ट्रकों के उपयोग पर मंथन हुआ.झारखंड सरकार के उद्योग विभाग के निदेशक सुशांत गौरव ने कहा कि झारखंड सतत विकास की दिशा में अग्रसर होने के लिए प्रतिबद्ध है. शून्य-उत्सर्जन ट्रकों जैसी पहल इसमें अहम भूमिका निभायेगी.
झारखंड खनिज संपदा से समृद्ध है
सुशांत ने कहा कि हमारा राज्य खनिज संपदा से समृद्ध है, जिसमें 18 दुर्लभ खनिज तत्व शामिल हैं. झारखंड अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देकर एक बेहतर भविष्य के अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने और आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में काम कर रहा है. सरकार ने इवी पॉलिसी भी बनायी है. कार्यशाला में अशोक लीलैंड के प्रतिनिधि ने बताया कि देश में 70% घरेलू माल परिवहन सड़क मार्ग से होता है. इससे हर साल 213 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होता है. इसमें करीब 83 फीसदी योगदान मालवाहक का है. पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत 500 करोड़ रुपये का आवंटन इ-ट्रकों के लिए किया गया है. मौके पर रामगढ़ के डीएफओ नीतीश कुमार ने भी अपने विचार रखे. चर्चा में नगर निगम के रवींद्र कुमार, जरेडा के अतिलेश गौतम, असर के मुन्ना झा, डॉ शशिधर झा आदि शामिल हुए.
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