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झारखंड में बढ़े हार्ट अटैक के मरीज, गलत खानपान और आरामदायक जीवनशैली है इसकी वजह

रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग में हार्ट अटैक और हृदय रोगियों की संख्या में अचानक इजाफा हुआ है. ओपीडी में प्रतिदिन 200 मरीजों को परामर्श दिया जा रहा है, जो एक साल पहले की तुलना में 15 से 20 फीसदी अधिक है.

Jharkhand News: झारखंड में भी हृदय की बीमारी और अचानक हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं. चिंता की बात यह है कि इसकी चपेट में 30-35 वर्ष के युवा आ रहे हैं. कोरोना महामारी के बाद इसकी संख्या तेजी से बढ़ी है. विशेषज्ञों का मानना है कि गलत खान-पान और आरामदायक जीवनशैली से युवाओं में हार्ट अटैक की समस्या बढ़ी है. साथ ही जिम में युवा जरूरत से अधिक अपने शरीर पर दबाव डालते हैं, जिससे हृदय में ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रभावित हो जाती है. इस कारण हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं.

रिम्स में हृदय रोगियों की संख्या में इजाफा

रिम्स के कार्डियोलॉजी विभाग में हार्ट अटैक और हृदय रोगियों की संख्या में अचानक इजाफा हुआ है. ओपीडी में प्रतिदिन 200 मरीजों को परामर्श दिया जा रहा है, जो एक साल पहले की तुलना में 15 से 20 फीसदी अधिक है. इसमें 25 से 30 साल के युवा ज्यादा हैं. रिम्स में हरेक माह 500 एंजियोग्राफी जांच कर हृदय का आकलन किया जाता है. वहीं, बीमारी का पता लगने पर 70-80 मरीजों की एंजियोप्लास्टी करनी पड़ रही है.

डब्ल्यूएचओ भी दे चुका है चेतावनी

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी कोरोना के बाद हार्ट अटैक के बढ़ते मामले पर चेताया है. डब्ल्यूएचओ ने बताया कि 25 से 40 वर्ष की उम्र के 53 फीसदी युवा हार्ट अटैक के हाइ रिस्क जोन में हैं. वहीं, 10 में आठ-नौ लोगों को अस्पताल पहुंचने का मौका नहीं मिल पाता है़ इसलिए हृदय की बीमारी को लेकर सतर्क होने की जरूरत है.

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जिम ने कलाकारों व जिम ट्रेनर की ली जान

हार्ट अटैक का मामला पूरे देश में बढ़ा है. अभिनेता के साथ-साथ जिम ट्रेनर की मौत भी हुई है. हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव की मौत भी जिम में हार्ट अटैक के कारण हुई थी. टीवी कलाकार सिद्धांत वीर सूर्यवंशी को भी जिम में वर्कआउट के दौरान हार्ट अटैक हुआ था. गाजियाबाद में 35 साल के एक जिम ट्रेनर की मौत भी हार्ट अटैक से हुई है.

सिक्स पैक बनाने की मची है होड़

रिम्स के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ प्रशांत कुमार ने बताया कि युवा सिक्स पैक बनाने की होड़ में लगे हुए हैं, लेकिन उनको पता नहीं है कि सही मायने में यह फिटनेस नहीं होता. जरूरी है कि आपका शरीर आंतरिक रूप से कितना स्वस्थ है? आप कितना शारीरिक परिश्रम (जिम में नहीं) कर पाते हैं? शरीर बीपी, शुगर, मोटापा और तनाव की चपेट में तो नहीं है? साथ ही जंक फूड, शराब, धूम्रपान की गलत आदत से भी शरीर का मेटाबोलिज्म प्रभावित होता है. इम्युनिटी कमजाेर होती है.

युवा क्षमता से ज्यादा उठा रहे भार

रिम्स के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ प्रकाश कुमार ने बताया कि युवाओं में जिम जाने का फैशन हो गया है. उन्हें शरीर की बाहरी बनावट आकर्षित कर रही है. इसके लिए शरीर पर क्षमता से ज्यादा भार और दबाव दे रहे हैं, जिससे ऑक्सीजन का दबाव बढ़ जाता है. सांस फूलने लगती है. पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलने के कारण अचानक हार्ट अटैक हो जाता है. कोरोना वायरस की चपेट में आने वाले लोगों की रक्त धमनियों में खून का थक्का बनने की समस्या बढ़ी है. इस कारण से भी हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं.

ठंड में रहें सतर्क

विशेषज्ञ कहते हैं कि ठंड का मौसम आते ही हृदय, अस्थमा और बीपी की समस्या बढ़ जाती है. ऐसे मरीजों को खास ध्यान देना चाहिए़ अनियंत्रित बीपी पर समय रहते ध्यान नहीं दिया जाये, तो हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा रहता है. अस्थमा और सीओपीडी के मरीजों को सांस की समस्या बढ़ जाती है. सांस फूलने के अलावा अस्थमा अटैक भी आने लगता है. हृदय, अस्थमा, बीपी और डायबिटीज के मरीज बिना डॉक्टरी सलाह के दवा नहीं छोड़ें.

शरीर को दें नेचुरल सप्लीमेंट, फिटनेस सप्लीमेंट से बनायें दूरी

युवा नेचुरल सप्लीमेंट की जगह फिटनेस सप्लीमेंट का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि फिटनेस सप्लीमेंट का अधिक इस्तेमाल शरीर पर धीरे-धीरे दुष्प्रभाव डालने लगता है. निर्धारित डोज नहीं लेने और अधिकता के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है़ इससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है़ इसलिए प्रोटीन पाउडर की जगह स्प्राउट चना, मूंग और सोयाबीन का इस्तेमाल जरूरी है.

60 फीसदी हो अधिकतम हार्ट रेट

फिटनेस क्लब के ट्रेनर रितेश कुमार के अनुसार स्वस्थ रहने के लिए प्रतिदिन एक घंटे का वर्कआउट काफी है. प्रत्येक एक्सरसाइज के बीच कम से कम 30 सेकेंड का ब्रेक जरूरी है. वर्कआउट के बाद अधिकतम हार्ट रेट 60% होना चाहिए. इसकी जांच हार्ट रेट को 220 में उम्र से घटाकर कर माप सकते हैं. यदि उम्र 28 वर्ष है, तो वर्कआउट के बाद हार्ट रेट 220-28=192 का 60% यानी 115 तक होना चाहिए. अगर हार्ट रेट इससे कई गुणा अधिक है, तो हैवी वर्कआउट से बचें.

प्रोटीन सप्लीमेंट सीमित मात्रा में लिया जाये, तो फायदेमंद है. शरीर की ऊर्जा को बनाये रखने के लिए न्यूट्रीशियंस की जरूरत होती है. सप्लीमेंट के तौर पर मैक्रोन्युट्रिएंट में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट, माइक्रोन्युट्रिएंट के रूप में विटामिन, मिनरल्स और प्रोटीन लेने से मांसपेशियों की चोट जल्दी ठीक होती है. इनका सेवन तभी सही होगा, जब व्यक्ति स्वास्थ्य संबंधी कोई अन्य दवा का सेवन न कर रहा हो. आठ घंटे की नींद भी बेहद जरूरी है.

– रितेश कुमार, ट्रेनर

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