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बीएयू में पांच नये महाविद्यालयों की मान्यता पर संकट

बिरसा कृषि विवि अंतर्गत खोले गये पांच नये कॉलेज पिछले चार साल से चल रहे हैं, लेकिन उन्हें अब तक आइसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) से मान्यता नहीं मिल पायी है.

संजीव सिंह, रांची : बिरसा कृषि विवि अंतर्गत खोले गये पांच नये कॉलेज पिछले चार साल से चल रहे हैं, लेकिन उन्हें अब तक आइसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) से मान्यता नहीं मिल पायी है. राज्य सरकार ने एनअोसी दी है, लेकिन आइसीएआर/वीसीआइ से मान्यता लेना अनिवार्य है. मान्यता नहीं मिलने से यहां पढ़नेवाले विद्यार्थियों की डिग्री पर तकनीकी रूप से प्रश्न चिह्न लग सकता है. हालांकि, विवि प्रशासन ने छात्र हित में फिलहाल विवि अंतर्गत कैंपस में पूर्व से चल रहे संकाय के साथ इसे जोड़ कर डिग्री देने का विचार किया है.

विवि में सत्र 2017-18 से पूरे ताम-झाम के साथ पांच नये महाविद्यालय खोले गये. इनमें कृषि संकाय के अधीन गोड्डा में सिदो-कान्हू कॉलेज अॉफ एग्रीकल्चर, देवघर जिले में रवींद्र नाथ टैगोर कॉलेज अॉफ एग्रीकल्चर, गढ़वा जिले में कॉलेज अॉफ एग्रीकल्चर की स्थापना की गयी. इन महाविद्यालयों के बीएससी (प्रतिष्ठा) कृषि पाठ्यक्रमों में सीटों की संख्या 50-50 रखी गयी. इसी तरह पशु चिकित्सा संकाय के अधीन गुमला जिले में कॉलेज अॉफ फिशरीज साइंस तथा हंसडीहा (दुमका) में फूलो झानो कॉलेज अॉफ डेयरी साइंस की स्थापना की गयी. इनके बीएफएससी एवं बीटेक (दुग्ध प्रोद्यौगिकी) पाठ्यक्रमों में सीटों की संख्या 30-30 निर्धारित की गयी.

राज्य में पहली बार डेयरी साइंस एवं फिशरीज साइंस विषयों की पढ़ाई प्रारंभ हुई. सभी पांच महावद्यिालयों के स्नातक स्तरीय पाठ्यक्रमों के लिए स्वीकृत कुल 210 सीटों पर झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा-2017 के माध्यम से विवि ने नामांकन लिया. वर्तमान में तीन वर्ष पूरे होने के बाद भी कॉलेज अॉफ फिशरीज साइंस, गुमला की पढ़ाई कांके स्थित पशु चिकित्सा संकाय में चल रही है. अन्य सभी महाविद्यालय अपने जिलों में कार्यरत हैं. बताया जाता है कि तत्कालीन वीसी डॉ पी कौशल के समय इन महावद्यिालयों में सत्र 2017-18 से पठन-पाठन प्रारंभ हुआ. स्थिति यह है कि वर्तमान में इन महाविद्यालयों में एसोसिएट डीन का पद प्रभार में है.

फिलहाल मुख्यालय के वैज्ञानिक, उपनिदेशक (प्रशिक्षण) और केवीके वैज्ञानिक को एसोसिएट डीन का प्रभार देकर काम चलाया जा रहा है. शिक्षकों व कर्मचारियों के 30 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त हैं. इन महाविद्यालयों में छह माह के अनुबंध के आधार पर सहायक प्राध्यापकों सह कनीय वैज्ञानिक तथा अन्य कर्मचारी से शैक्षणिक कार्यों को चलाया जा रहा है. इन महाविद्यालयों के चार वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रमों को आइसीएआर से संबद्धता के लिए विवि की ओर से कोई पहल नहीं हुई है.

नियमानुसार चार वर्ष पूरे होने से पहले संबद्धता मिल जानी चाहिए. पूर्व प्रभारी कुलपति डॉ आरएस कुरील ने तीन कृषि महाविद्यालयों की वस्तुस्थिति का निरीक्षण डीन एग्रीकल्चर डॉ एमएस यादव से कराया. अपने निरीक्षण प्रतिवेदन में डॉ यादव ने संबद्धता के लिए आइसीएआर मार्गदर्शिका व मानक के आधार पर कमियों की जानकारी उपलब्ध करायी. आठ जनवरी 2020 को डॉ कुरील को कुलपति के प्रभार से हटाये जाने के बाद यह मामला अधर में लटक गया.

इन महाविद्यालयों को आइसीएआर नयी दिल्ली की राष्ट्रीय कृषि शिक्षा संबद्धता बोर्ड के माध्यम से संबद्धता प्रदान की जानी है. बोर्ड द्वारा प्रत्येक चार वर्षो के अंतराल में सभी कृषि विवि की विभन्नि शैक्षणिक पाठ्यक्रमों को संबद्धता दी जाती है. इसके लिए जरूरी मानकों पर पांच नये महाविद्यालय खरे नहीं उतर रहे हैं. इन महाविद्यालयों में न्यूनतम तीन प्रयोगशाला, पुस्तकालय, स्मार्ट क्लास रूम, वर्चुअल क्लास रूम, खेल मैदान तथा शोध प्रक्षेत्र के लिए 25 हेक्टेयर भूमि का होना जरूरी है.

Post by : Pritish Sahay

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