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Big Blow To Babulal Marandi: झारखंड प्रदेश भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को चुनौती देने वाली बाबूलाल मरांडी की अवमानना याचिकाओं पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि उसके अवमानना अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल राजनीतक बदला लेने के लिए नहीं किया जा सकता. कोर्ट के इस फैसले पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) प्रवक्ता विनोद कुमार पांडेय ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा और बाबूलाल मरांडी को आईना दिखाया है.
‘अवमानना का अधिकार राजनीतिक बदला लेने के लिए नहीं’
चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा, ‘झारखंड मामले में हम नहीं चाहते कि अवमानना के अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल राजनीतिक बदला लेने के लिए किया जाये. अगर आपको किसी खास नियुक्ति से कोई समस्या है, तो कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) में जाएं. मैं बार-बार कहता रहा हूं कि अगर आपको अपना राजनीतिक बदला लेना है, तो मतदाताओं के पास जायें.’ इस पीठ में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया भी शामिल हैं.
बाबूलाल मरांडी की याचिका पर सुनवाई से SC का इनकार
पीठ ने अखिल भारतीय आदिवासी विकास समिति, झारखंड और भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी द्वारा दायर अवमानना याचिकाओं सहित अन्य याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया. चीफ जस्टिस ने कहा कि जनहित याचिका तंत्र वंचित वर्गों को न्याय तक पहुंच प्रदान करने के लिए तैयार किया गया था. यह प्रतिस्पर्धी अधिकारियों के बीच पदोन्नति या नियुक्तियों को चुनौती देने का साधन नहीं बन सकता.’
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Big Blow To Babulal Marandi: मरांडी की याचिका में क्या?
पीठ के समक्ष दायर याचिकाओं में गुप्ता की नियुक्ति को प्रकाश सिंह दिशा-निर्देशों का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी गयी थी. इन दिशा-निर्देशों के तहत संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा सूचीबद्ध 3 वरिष्ठतम आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारियों में से डीजीपी का चयन करना अनिवार्य है और उसके लिए 2 वर्ष का निश्चित कार्यकाल निर्धारित किया गया है.
झारखंड के डीजीपी पर बाबूलाल मरांडी का है ये आरोप
झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता पर आरोप है कि उनकी सेवानिवृत्ति की आयु 30 अप्रैल को ही पूरी हो चुकी थी और याचिका में कहा गया था कि राज्य द्वारा उनके लिए सेवा विस्तार की मांग करना नियमों के विरुद्ध है. केंद्र ने सेवा विस्तार के प्रस्ताव को कथित तौर पर अस्वीकार कर दिया.
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न्यायमित्र ने कहा- हाईकोर्ट में लंबित याचिकाएं वापस लेंगे
सुनवाई के दौरान न्यायमित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने कहा कि झारखंड हाईकोर्ट में लंबित रिट याचिकाएं वापस ले ली जायेंगी और समेकित निर्णय के लिए शीर्ष अदालत में दायर की जायेंगी. पीठ ने कहा कि अवमानना याचिकाओं में से एक मूलतः झारखंड के मुख्य सचिव के खिलाफ थी, जिसमें प्रकाश सिंह मामले में फैसले का पालन न करने का आरोप लगाया गया था.
‘अवमानना क्षेत्राधिकार को सेवा विवादों के मंच में नहीं बदल सकते’
चीफ जस्टिस ने कहा, ‘अगर किसी अधिकारी को लगता है कि उसे अवैध रूप से दरकिनार किया गया है या उसके वैध दावे को अस्वीकार किया गया है, तो कानून के तहत उपचार उपलब्ध हैं. हम अवमानना क्षेत्राधिकार को ऐसे सेवा विवादों के लिए मंच में नहीं बदल सकते.’
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बाबूलाल मरांडी को भाजपा को कोर्ट ने दिखाया आईना – झामुमो
बाबूलाल मरांडी की याचिका याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज होते ही सत्ताधारी दल के प्रवक्ता ने भाजपा पर तीखा पलटवार किया. झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने भाजपा और विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी को करारा जवाब दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने साफ कर दिया है कि झामुमो सरकार ने पूरी तरह नियमों के तहत डीजीपी अनुराग गुप्ता की नियुक्ति की है. बाबूलाल मरांडी और भाजपा का आरोप पूरी तरह झूठा और भ्रामक था. भाजपा को करारा जवाब मिला है.
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