रांची: ऑल इंडिया सेक्यूलर फोरम के सचिव डॉ राम पुनियानी ने कहा है कि सांप्रदायिक दंगों के पीछे सांप्रदायिक राजनीति होती है. इसका किसी भी धर्म से कोई लेना-देना नहीं. कुछ लोग चाहते हैं कि सत्ता का विकेंद्रीकरण नहीं हो. गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी जैसी समस्याओं को पीछे धकेलने के लिए दंगे कराये जाते हैं. हिंसा की शुरुआत हथियारों से नहीं, विचारों से होती है. पूरे दक्षिणी एशिया में अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत फैलायी जा रही है.
डॉ पुनियानी शनिवार को इंडियन सोशल इंस्टीटय़ूट नयी दिल्ली, एक्सआइएसएस व सद्भावना मंच की ओर आयोजित ‘बदलते परिवेश में सदभावना की खोज’ विषयक सेमिनार में बोल रहे थे.
डॉ पुनियानी ने कहा कि यदि हिंदू राष्ट्रवादी सत्ता में आ गये, तो देश के लिए बड़ा खतरा होगा. आरएसएस की राजनीति लोकतंत्र को समाप्त कर देश को हिंदुत्व की ओर ले जाने की है. उसका एजेंडा संभ्रांत, उच्च वर्ण के हिंदुओं के लिए देश बनाना है, जिसमें सिर्फ मुसलमान या ईसाई ही नहीं, 80 फीसदी हिंदू और महिलाएं भी हाशिये पर होंगे. यह कमजोर लोगों के मानवाधिकार समाप्त करना चाहता है.
लेखिका सह सामाजिक कार्यकर्ता डॉ शांति खलखो ने कहा कि किसी भी धर्म ने पूजा-पाठ में महिलाओं को जगह नहीं दी है. इस पर विचार करने की आवश्यकता है. हर धर्म अच्छी बातें ही सिखाता है, पर हम उनका अनुपालन नहीं करते. आदिवासी समाज में न धन और न सत्ता की लोलुपता थी, पर बाहरी दुनिया का प्रभाव हम पर पड़ने लगा है. हमारे बीच फूट डालो और शासन करो की राजनीति चल रही है इसे पहचानने की आवश्यकता है. इस मौके पर एराउज संस्था लोहरदगा के विनोद भगत ने ‘सरना ईसाई संवाद : सामूहिक विकास का मंत्र’ विषय पर विचार रखे.