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BAU के दीक्षांत समारोह में 21 विद्यार्थियों को मिला गोल्ड मेडल, राज्यपाल ने कही यह बात

बिरसा कृषि विवि के सातवें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल रमेश बैस ने तीन विद्यार्थियों को चांसलर मेडल, 21 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल व 25 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की. समारोह में 1139 विद्यार्थियों को डिग्री दी गयी.

राज्यपाल रमेश बैस ने विद्यार्थियों से कहा कि जीवन में कभी भी सीखने में संकोच न करें. दूसरों के श्रेष्ठ गुणों का अनुकरण करें और अच्छे मार्ग पर चलें. यही सफल विद्यार्थी के लक्षण हैं. सीखने की कोई उम्र या सीमा नहीं होनी चाहिए. जीवन में अधिक से अधिक ज्ञान हासिल करने की भूख सदैव बनी रहनी चाहिए. तभी आपलोग नयी ऊंचाइयां हासिल कर पायेंगे. श्री बैस गुरुवार को बिरसा कृषि विवि के सातवें दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे. इस अवसर पर राज्यपाल ने तीन विद्यार्थियों को चांसलर मेडल, 21 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल व 25 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की. समारोह में 1139 विद्यार्थियों को डिग्री दी गयी.

राज्यपाल ने कहा कि विवि को वर्ष 2017 में आइसीएआर की नेशनल रैंकिंग में 53वां स्थान मिला था. वहीं वर्ष 2018 में देश के टॉप 60 कृषि विवि की सूची से भी बाहर हो गया. हालांकि, वर्ष 2020 में इसे 58वां स्थान प्राप्त हुआ. इसके क्या कारण हैं कि वर्ष 1981 में स्थापित यह संस्थान टॉप 20 या टॉप 30 में नहीं आ पाया है. क्या इसका कारण शिक्षकों की कमी, पठन-पाठन में गुणवत्ता का अभाव, शोध में गुणवत्ता की कमी आदि तो नहीं हैं. देखना होगा कि आइसीएआर रैंकिंग के लिए तय मापदंड का किस हद तक अनुकरण हो रहा है. उम्मीद है कि विवि इन सब मुद्दों पर गंभीरता से विचार और मंथन करेगा.

नयी सोच व टेक्नोलॉजी लानी होगी

आइसीएआर के महानिदेशक हिमांशु पाठक ने कहा कि डिग्री प्राप्त कर विद्यार्थी समाज की बेहतरी के लिए खुद को समर्पित करें. कुछ भी नया करने के लिए नयी सोच व टेक्नोलॉजी लानी होगी. स्किलयुक्त बनना होगा. उम्मीद है कि विद्यार्थी डिग्री की मान्यता जीवन भर निभायेंगे. यह खुशी की बात है कि बेहतरी में पूरे देश में बीएयू एक उदाहरण है. उन्होंने कहा कि मौसम परिवर्तन, आपसी संघर्ष और पर्यावरण प्रदूषण से निबटने के लिए छात्र शक्ति बढ़ायें और अनुसंधान कार्य में तेजी लायें.

पैदावार बढ़ाने में किसानों की मदद करें

कुलपति डॉ ओंकारनाथ सिंह ने कहा कि विद्यार्थी अच्छा मनुष्य बनें. किसानों के जीवन में बदलाव लाना व उनकी बेहतरी हमारी जिम्मेवारी है. खेती युक्त जमीन कम हो रहे हैं. पानी कम है. ऐसे में विद्यार्थी पैदावार बढ़ाने में किसानों की मदद करें. उनकी आय में वृद्धि के लिए अनुसंधान पर जोर दें. संचालन शशि सिंह ने किया. मौके पर पूर्व कुलपति डॉ जॉर्ज जॉन, डॉ ए वदूद, डॉ पीके सिंह, डॉ एन कुदादा, सभी डीन, हेड, निदेशक, शिक्षक, कर्मचारी, अधिकारी, विद्यार्थी व उनके अभिभावक उपस्थित थे.

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टॉपर्स की बात

  • खेती-किसानी की समस्या को समझती हूं. आनेवाले दिनों में नाबार्ड से जुड़कर उनकी समस्याओं का समाधान करूंगी – लिपी अनुज्ञान, एग्रीकल्चर

  • कोरोना काल के बाद बायोटेक्नोलॉजी में करियर संभावनाएं बढ़ी हैं. भविष्य में साइंटिस्ट के रूप में स्थापित होना है – आकांक्षा सिंह, बायोटेक्नोलॉजी

  • जंगल संरक्षण एक गंभीर विषय है. वर्तमान में ओड़िशा फॉरेस्ट सर्विस में बतौर असिस्टेंट कंसर्वेटर के पद पर कार्यरत हूं – ऐश्वर्या राउतराय, फॉरेस्ट्री

  • कृषि प्रबंधन में खुद को फिट समझता हूं. पढ़ाई के दौरान खेती-किसानी के व्यवसायों को समझने का मौका भी मिला – अंकित प्रकाश, सेंटर फॉर एग्रीबिजनेस मैनेजमेंट

  • बीएयू से जुड़कर डेयरी टेक्नोलॉजी की जानकारी मिली. फिलहाल सिविल सेवा की तैयारी कर रही हूं – ऋचा कुमारी, डेयरी टेक्नोलॉजी

  • प्लांट कल्टीवेशन में तकनीक को विकसित करने की दिशा में काम करना है. फिलहाल फॉरेस्ट ऑफिसर बनने की तैयारी में जुटी हूं – प्रिया कुमारी गोराई, हॉटीकल्चर

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