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रांची : कुड़ुख भाषा को नेपाल की तरह अब भारत व भूटान में भी मिले प्रोत्साहन
रांची : ऑल इंडिया कुड़ुख लिटरेरी सोसाइटी की ओर से आयोजित कुडुख भाषा का दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन सोमवार को भूटान में संपन्न हुआ़ इस सम्मेलन में भारत, नेपाल, भूटान व बांग्लादेश के 215 कुड़ुख विद्वान, लेखक, साहित्यकार व विद्यार्थी शामिल हुए़ इसमें नेपाल के प्रतिभागी, कुड़ुख साहित्यकार बेचन उरांव ने कहा कि नेपाल में […]
रांची : ऑल इंडिया कुड़ुख लिटरेरी सोसाइटी की ओर से आयोजित कुडुख भाषा का दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन सोमवार को भूटान में संपन्न हुआ़ इस सम्मेलन में भारत, नेपाल, भूटान व बांग्लादेश के 215 कुड़ुख विद्वान, लेखक, साहित्यकार व विद्यार्थी शामिल हुए़
इसमें नेपाल के प्रतिभागी, कुड़ुख साहित्यकार बेचन उरांव ने कहा कि नेपाल में कुड़ुख भाषा को राष्ट्रीय भाषा की मान्यता मिली है़ सरकारी प्रयास के तहत इस भाषा के विकास के लिए सोसाइटी को अकादमी के लिए जमीन व राशि उपलब्ध करायी गयी है़ सरकारी पत्रिका व अखबार भी कुड़ुख भाषा में प्रकाशित हो रहे हैं.
कुड़ुख भाषा, साहित्य व संस्कृति के विकास लिए शोध व अनुसंधान का कार्य भी जारी है.कुडुख भाषा के विकास के लिए ऐसे सरकारी प्रयास भारत, भूटान व बांग्लादेश में भी होने चाहिए़ सांसद दशरथ तिर्की ने कहा कुड़ुख भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए संसद में आवाज उठायेंगे़ पश्चिम बंगाल सरकार ने कुड़ुख को राजकीय भाषा के रूप में मान्यता दे दी है़ अब कुड़ुख साहित्य अकादमी गठन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है़ डाॅ हरि उरांव ने कहा कि भाषा के साथ संस्कृति के संरक्षण-संवर्द्धन की भी जरूरत है.
उन्होंने कुड़ुख भाषा-साहित्य की दशा- दिशा पर प्रकाश डाला़ मौसम वैज्ञानिक डाॅ अशोक बाखला ने कहा कि कुड़ुख भाषा व संस्कृति एक-दूसरे पूरक हैं.
‘विश्व पटल पर कुड़ुख भाषा’ का लोकार्पण : इस अवसर पर सोसाइटी द्वारा प्रकाशित ‘विश्व पटल पर कुड़ुख भाषा भाग- तीन’ व अन्य कुड़ुख साहित्य का लोकार्पण भी किया गया़ इससे पूर्व सोसाइटी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रोफेसर महेश भगत ने प्रतिभागियों का स्वागत किया़ उन्होंने कहा कि कुड़ुख भाषा-साहित्य के क्षेत्र में अधिक से अधिक रचनाकर्म की जरूरत है़
साथ ही साथ ही विश्व पटल पर इसका मानकीकरण भी होना चाहिए़ सोसाइटी के राष्ट्रीय सचिव नाबोर एक्का ने विषय प्रवेश कराते हुए इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला़ कुड़ुख भाषा को कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल, टेलीविजन, रेडियो आदि से जोड़ने की पहल की जायेगी : सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि भारत, नेपाल, भूटान व बांग्लादेश के कुड़ुख भाषियों को एक मंच पर लाया जायेगा और एक साथ भाषायी आंदोलन चलाया जायेगा़ इन देशों में कुड़ुख को राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता दिलाने का प्रयास करेंगे़ इस भाषा को कंप्यूटर, इंटरनेट, मोबाइल, टेलीविजन, रेडियो आदि से जोड़ने की पहल की जायेगी़
इसके अतिरिक्त कुड़ुख भाषा में अधिक से अधिक फिल्मों के निर्माण, कुड़ुख भाषा के यूनिकोड में पंजीयन, मोबाइल एेप के निर्माण, कुड़ुख को दूसरी भाषाओं से जोड़ने व सरकारी स्तर पर अकादमी के गठन के लिए पहल करने का निर्णय भी लिया गया.
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