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रांची : फेज-वन के लंबित जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द पूरी करें

मामला रांची-जमशेदपुर एनएच-33 की दयनीय स्थिति का, हाइकोर्ट ने एनएचएआइ को स्टेटस रिपोर्ट देने का दिया निर्देश रांची : झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) की दयनीय स्थिति व फोर लेनिंग कार्य की धीमी गति को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस […]

मामला रांची-जमशेदपुर एनएच-33 की दयनीय स्थिति का, हाइकोर्ट ने एनएचएआइ को स्टेटस रिपोर्ट देने का दिया निर्देश
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) की दयनीय स्थिति व फोर लेनिंग कार्य की धीमी गति को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए नेशनल हाइवे अॉथोरिटी अॉफ इंडिया (एनएचएआइ) को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया.
खंडपीठ ने कहा कि फेज-वन (रांची रिंग रोड फेज-वन व फेज-टू) के एक किमी तक लंबित जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को त्वरित गति से पूरा करें. वहीं केंद्र सरकार व राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह एनएच-33 के फोर लेनिंग कार्य के फेज-तीन के तहत लिये जानेवाले फॉरेस्ट क्लियरेंस का कार्य जल्दी पूरा करे, ताकि फोर लेनिंग कार्य शीघ्र शुरू हो सके.
खंडपीठ ने कहा कि निर्माण कार्य में किसी प्रकार की बाधा नहीं आनी चाहिए. यदि कोई परेशानी व बाधा है, तो उसे समय रहते दूर कर लें. किसी प्रकार का टालमटोल या बहाना अब नहीं चलेगा. मामले की अगली सुनवाई सात जनवरी 2019 को होगी. इससे पूर्व एनएचएआइ की ओर से शपथ पत्र दायर किया गया. वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने खंडपीठ को बताया गया कि रांची-जमशेदपुर फोर लेनिंग का काम चार चरणों में पूरा होगा. तीन चरण के कार्य के लिए टेंडर आमंत्रित किया गया है. इस पर छह दिसंबर को निर्णय लिया जाना है.
फेज-तीन में वन भूमि से संबंधित तकनीकी परेशानियां हैं. फॉरेस्ट क्लियरेंस लेना है. इसके लिए प्रस्ताव दिया गया है. सड़क मरम्मत का कार्य किया जा रहा है. यह भी बताया गया कि संवेदक कंपनी रांची एक्सप्रेस-वे द्वारा एनएच-33 के फोर लेनिंग का जो कार्य किया गया है, उसका निरीक्षण स्वतंत्र इंजीनियर्स से कराया गया है.
उक्त निरीक्षण में एनएचएआइ, संवेदक कंपनी व संबंधित बैंक के प्रतिनिधि भी शामिल थे. संवेदक कंपनी के साथ वन टाइम सेटलमेंट (अोटीएस) को लेकर एनएचएआइ, संवेदक कंपनी व बैंक की अब तक तीन बैठक हुई हैं, लेकिन अोटीएस पर अंतिम फैसला नहीं हो सका है. वहीं राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता राजीव रंजन मिश्र ने खंडपीठ को बताया कि हजारीबाग-बरही एनएच के फोर लेनिंग कार्य के दौरान बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गयी है. उसको भी इस मामले के साथ टैग किया जा सकता है.
संवेदक कंपनी की ओर से अधिवक्ता अनूप कुमार मेहता व बैंक की ओर से वरीय अधिवक्ता जय प्रकाश ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग-33 की दयनीय स्थिति को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. मार्च 2018 से एनएच का फोर लेनिंग कार्य पूरी तरह से बंद है.

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