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रांची : झाविमो में केंद्रीय समिति थी ही नहीं, भाजपा में हुआ है विलय

प्रतिवादी पक्ष ने न्यायाधिकरण से कहा रांची : दलबदल के मामले में 10वीं अनुसूची के तहत छह में से एक आरोपी विधायक आलोक चौरसिया (प्रतिवादी पक्ष) की ओर से बहस हुई. स्पीकर दिनेश उरांव के न्यायाधिकरण में प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता अनिल कुमार का कहना था कि इस मामले में झाविमो की ओर से दो […]

प्रतिवादी पक्ष ने न्यायाधिकरण से कहा
रांची : दलबदल के मामले में 10वीं अनुसूची के तहत छह में से एक आरोपी विधायक आलोक चौरसिया (प्रतिवादी पक्ष) की ओर से बहस हुई. स्पीकर दिनेश उरांव के न्यायाधिकरण में प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता अनिल कुमार का कहना था कि इस मामले में झाविमो की ओर से दो बातें कही गयी हैं.
पहली बात है कि झाविमो कह रहा है कि दूसरी पार्टी में विलय का फैसला केंद्रीय समिति करती है. दूसरी बात कही जा रही है कि केंद्रीय समिति की बैठक पार्टी अध्यक्ष ही बुला सकते हैं.
प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता का कहना था कि उस समय झाविमो में कोई केंद्रीय समिति थी ही नहीं. आधे से अधिक नेता पार्टी छोड़कर जा चुके थे.
ऐसे में केंद्रीय समिति का अस्तित्व नहीं था. दूसरी बात कि पार्टी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने बैठक बुलायी थी. बैठक में खुद बाबूलाल मरांडी ही नहीं आये. उस समय पार्टी में जो पदाधिकारी बचे थे और विधायक वे दलादली की बैठक में पहुंचे. इसमें झाविमो का भाजपा में विलय का निर्णय हुआ.
10वीं अनुसूची का कोई मामला बनता ही नहीं
प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता का कहना था कि कोई पार्टी छोड़कर नहीं गया है. पूरी पार्टी का ही विलय हो गया है. ऐसे में 10वीं अनुसूची का कोई मामला बनता ही नहीं है.
प्रतिवादी पक्ष की दलील सुनने के बाद स्पीकर ने सुनवाई की अगली तिथि सात दिसंबर तय की. अगली सुनवाई में आरोपी विधायक जानकी यादव की ओर से पक्ष रखा जायेगा. इससे पूर्व चार विधायकों की ओर से न्यायाधिकरण में पक्ष रखा जा चुका है.

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