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रांची : कंपनी को दी गयी डिबार करने की धमकी, वह भी काम नहीं आयी

रांची : राजधानी रांची में सीवरेज-ड्रेनेज का निर्माण कार्य कर रही कंपनी को डिबार करने की धमकी भी काम नहीं आ रही है. वर्ष 2017 में रांची नगर निगम ने परियोजना से जुड़ी कंपनियों को डिबार किया था. सीवरेज-ड्रेनेज परियोजना जोन-1 की निर्माता संवेदक कंपनियां ज्योति बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड और विभोर वैभव इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड […]

रांची : राजधानी रांची में सीवरेज-ड्रेनेज का निर्माण कार्य कर रही कंपनी को डिबार करने की धमकी भी काम नहीं आ रही है. वर्ष 2017 में रांची नगर निगम ने परियोजना से जुड़ी कंपनियों को डिबार किया था.
सीवरेज-ड्रेनेज परियोजना जोन-1 की निर्माता संवेदक कंपनियां ज्योति बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड और विभोर वैभव इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किये गये कार्य को संतोषप्रद नहीं माना गया था. परियोजना की परामर्शी कंपनी के निर्देशों के बावजूद कार्य में अपेक्षित प्रगति नहीं आने और कार्य में लापरवाही बरतने के लिए नगर निगम ने भविष्य में कार्यों से डिबार करने का आदेश जारी किया था.
वर्ष 2006 में बनी योजना, 2015 में शुरू हुआ था काम
रांची में सीवरेज-ड्रेनेज बनाने की योजना वर्ष 2006 में शुरू की गयी थी. सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट ने डिजाईन व डीपीआर तैयार किया था. मैनहर्ट को काम मिलने पर चले लंबे विवाद के बाद वर्ष 2015 में योजना के तहत काम शुरू कराया गया. परियोजना की प्राक्कलित राशि 359 करोड़ रुपये है. हालांकि, अब डीपीआर में बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है. परामर्शी कंपनी से पुनरीक्षित प्राक्कलन तैयार कराया जा रहा है. पूर्व में सीवरेज लाइन की कुल लंबाई 192 किमी की थी. लेकिन, अब सीवरेज लाइन की कुल लंबाई 280 किमी हो गयी है. इसमें अब भी सुधार की गुंजाइश बतायी जा रही है.
100 किमी पाइप बिछाया, चार किमी नाली नहीं बनायी
रांची नगर निगम के मुताबिक शहर में लगभग 100 किमी सीवरेज पाइप लाइन बिछायी जा चुकी है. लेकिन, ड्रेनेज निर्माण की केवल खानापूर्ति की जा रही है. अब तक केवल 3.5 किमी ही ड्रेनेज (नाली) का निर्माण किया गया है. निगम के अधिकारी कहते हैं कि ड्रेनेज निर्माण की प्रस्तावित लागत करीब 100 करोड़ रुपये है. यह राशि ड्रेनेज निर्माण के समय ही निर्माता कंपनी को दी जायेगी. वहीं, कंपनी ने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम भी अब तक शुरू नहीं किया है.
केवल पाइप लाइन बिछाने के पैसे वसूल रही कंपनी
सीवरेज पाइप से गंदे पानी की निकासी के लिए उसे जोड़ने तक की जहमत नहीं उठायी जा रही है. दरअसल, सीवरेज-ड्रेनेज निर्माण का काम करने वाली कंपनी को किये गये कार्य के मुताबिक भुगतान किया जाता है. कंपनी केवल पाइप बिछाने के एवज में राशि वसूल रही है. सड़कों को खोदकर उसमें पाइप दबा कर उसे मिट्टी, गिट्टी और सीमेंट से ढंक दिया जा रहा है. खोदी गयी सड़क की मापी के हिसाब से कंपनियां अपना भुगतान प्राप्त कर रही हैं. काम कर रही कंपनियों को अब तक लगभग 74 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.
राज्यसभा सदस्य महेश पोद्दार ने उठाया है सवाल
रांची में सीवरेज-ड्रेनेज परियोजना की बदहाली पर राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार ने भी सवाल उठाया है. उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिख कर कार्य में बरती जा रही अनियमितता पर ध्यान दिलाया है. श्री पोद्दार ने कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाने के साथ काम कर रही कंपनियों की लापरवाही और अक्षमता की शिकायत भी की है. उन्होंने 12 वर्ष पूर्व तैयार किये गये डीपीआर पर भी मौजूदा हालात में सवालिया निशान लगाया है.
…और उधर
बिहार में हो रहा है बेहतर काम
झारखंड की तुलना में बिहार के शहरों में सीवरेज-ड्रेनेज निर्माण का काम बेहतर तरीके से हो रहा है. बिहार अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड ने एलएंडटी और इएमएस जैसी बड़ी कंपनियों को काम सौंपा है. यह कंपनियां नयी तकनीक से काम कर रही हैं. वहां सड़कों पर पाइप बिछाने के बाद उसकी मरम्मत की जा रही है. बिहार के कई शहरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण का कार्य भी शुरू हो गया है.

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