रांची/ गढ़वा : गढ़वा-छत्तीसगढ़ की सीमा पर गढ़वा पुलिस व राज्य सरकार के लिए चुनौती बना नक्सलियों का शरणस्थली चर्चित बूढ़ा पहाड़ से दो बड़े नक्सली सुधाकरण व अरविंद के वहां से निकल भागने की चर्चा जोरों पर है. यद्यपि पुलिस इस बारे में कुछ भी कहने से परहेज कर रही है.
यहां चर्चा कर दें कि गढ़वा जिले के बड़गड़ प्रखंड के छत्तीसगढ़ की सीमा से लगा हुआ बूढ़ा पहाड़ पिछले दो साल से नक्सलियों के कब्जे में है. उसे खाली कराने को लेकर समय-समय पर गढ़वा, पलामू, लातेहार व छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिला पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से अभियान चलाया जा चुका है.
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एक माह पूर्व चले अभियान में राज्य की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा व डीजीपी समेत कई अधिकारी वहां पहुंच कर ऑपरेशन का जायजा लिया था, लेकिन लगभग एक-डेढ़ महीने तक ऑपरेशन चलने के बाद उसे बंद कर दिया गया.
बूढ़ा पहाड़ पर भाकपा माओवादी के इनामी केंद्रीय कमेटी सदस्य अरविंदजी अपने सहयोगियों के साथ पहाड़ पर जमा हुआ था. उसके साथ आंध्र प्रदेश का कुख्यात इनामी नक्सली सुधाकरण भी बूढ़ा पहाड़ पर जमा हुआ था. अभियान के दौरान पुलिस ने बूढ़ा पहाड़ की घेराबंदी की थी, लेकिन लगभग दो महीने ऑपरेशन चलने के बाद उसे बंद कर दिया गया. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सुधाकरण व अरविंदजी बूढ़ा पहाड़ से भाग निकलने में सफल हो गये हैं. दो महीने चले ऑपरेशन के बाद बूढ़ा पहाड़ के नीचे मदगड़ी च आदि इलाकों में पुलिस अभी कैंप की हुई है, लेकिन नक्सलियों के विरुद्ध कोई अभियान नहीं चलाया जा रहा है.
बूढ़ा पहाड़ से 108 लोगों को नीचे लाया गया है : एसपी
इस संदर्भ में पूछे जाने पर पुलिस अधीक्षक मो अर्शी ने कहा कि बूढ़ा पहाड़ के उपर बसे गांवों से पुलिस द्वारा रेस्कयू कर 108 लोगों को मदगड़ी च स्थित कैंप में लाया गया है और सभी को रहने-खाने की सुविधा बहाल की गयी है़ उन्होंने बूढ़ा पहाड़ से दो बड़े नक्सलियों के फरार हो जाने के सवाल पर कुछ भी कहने से इनकार किया.