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रांची के बिरसा जैविक उद्यान में 1288 जानवरों को देखने के लिए सात लाख पर्यटकों ने खर्च किये “2 करोड़

2016-17 में पिछले साल की तुलना में 30 हजार अधिक सैलानी पहुंचे राहुल गुरु रांची : ओरमांझी स्थित भगवान बिरसा जैविक उद्यान पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है़ 1288 जानवरों को देखने के िलए करीब सात लाख सैलानियों ने 2016-17 में दो करोड़ रुपये खर्च कर दिये. 26 जनवरी 1994 में स्थापित […]

2016-17 में पिछले साल की तुलना में 30 हजार अधिक सैलानी पहुंचे

राहुल गुरु

रांची : ओरमांझी स्थित भगवान बिरसा जैविक उद्यान पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है़ 1288 जानवरों को देखने के िलए करीब सात लाख सैलानियों ने 2016-17 में दो करोड़ रुपये खर्च कर दिये. 26 जनवरी 1994 में स्थापित इस जू में आनेवाले पर्यटकों की संख्या में पिछले पांच वर्षों में काफी इजाफा हुआ है.

2016-17 (इस साल के 31 मार्च तक) में यहां 6,89,997 सैलानी आये. यह संख्या 2015-16 की तुलना में करीब 30 हजार अधिक है. यदि 2012-13 के आंकड़ों को देखें, तो पर्यटकों की संख्या 4,43,123 थी. राजधानी से करीब 15 किमी दूर स्थित इस उद्यान में 83 प्रजातियों के 1288 जानवर हैं.

2.95 में टाइगर-लायन व 2.69 लाख रुपये में हिप्पो को लें गोद

उद्यान में जानवरों को गोद लेने की प्रक्रिया जारी है. अब तक प्रियंका चोपड़ा सहित कई लोगों और संस्थानों ने यहां जानवरों को गोद लिया है. मेकन और सीसीएल गोद ले चुके हैं. वर्तमान में एसबीआइ पर्सनल बैंकिंग ने मल्लिक टाइगर को गोद लिया है. उद्यान प्रशासन के मुताबिक कोई भी आम व्यक्ति उद्यान के नियम कायदे को पूरा कर जानवरों को गोद ले सकता है. वर्तमान में 19 ऐसे जानवर हैं, जिनको गोद लिया जा सकता है. एक आदमी एक से लेकर पांच साल तक के लिए गोद ले सकता है. टाइगर, लायन और हिप्पो को गोद लेने के लिए आपको सर्वाधिक रुपये खर्च करने पड़ेंगे. इन्हें कम से कम एक साल गोद लेने के लिए आपको तीन लाख रुपये खर्च करने होंगे.

नये वर्ष में पर्यटकों को दिखेंगे लेपर्ड कैट और घड़ियाल के बच्चे

नये साल में यहां आनेवाले सैलानियों को कई नये जानवरों से रूबरू हाेने का मौका मिलेगा. भगवान बिरसा जैविक उद्यान के डॉ अजय कुमार सिंह के अनुसार देश में यह यूनिक जू है. यहां का वातावरण कुछ ऐसा है कि पिछले कई सालों में ऐसे जानवरों ने बच्चे दिये हैं, जिनको लेकर विश्वास नहीं किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इस साल सैलानियों को यहां दुर्लभ ऑस्ट्रिच पक्षी देखने को मिलेगा. ऑस्ट्रिच ने बच्चे दिये हैं.

देश में भगवान बिरसा जैविक उद्यान ही एक मात्र ऐसा उद्यान है, जहां ऑस्ट्रिच ने बच्चे जने हैं. इसके अतिरिक्त कई लुप्तप्राय और विदेशी पक्षी को भी देखने का मौका मिलेगा. साथ ही हिमालयन व देशी ब्लैक भालू, लेपर्ड कैट (तेंदुआ बिल्ली) और घड़ियाल के बच्चे भी दिखेंगे.

बैट्री रिक्शा के साथ बोटिंग का आनंद

उद्यान प्रशासन ने सैलानियों की सुविधा के लिए बैट्री रिक्शा की सुविधा दी है. इसके अलावा पर्यटक उद्यान के भीतर बोटिंग का आनंद भी ले सकते हैं. एक व्यक्ति 30 रुपये देकर एक घंटे बैट्री रिक्शा से घूम सकता है. वहीं बोटिंग में टू सिटर पैडल बोट के लिए 30 रुपये और फोर सिटर के लिए 50 रुपये देने होंगे. बोटिंग की एक ट्रिप का समय 15 मिनट है.

उद्यान ने एक साल में बचाये 12 जानवर

एक साल में भगवान बिरसा जैविक उद्यान प्रशासन ने 12 विभिन्न प्रजाति के जानवरों को बचाया और संरक्षित किया है. इसमें एक नील गाय, एक लंगूर, पांच भारतीय मयूर, एक जंगली बिल्ली, चार स्ट्रिप्ड हायना व एक भौंकने वाले हिरन का बच्चा शामिल है.

05 वर्षों में पर्यटकों का आंकड़ा देखिए

जैविक उद्यान में पिछले पांच सालों में पर्यटकों की संख्या में बढ़ोत्तरी ही हुई है. वर्ष 2012-13 में 443123, वर्ष 2013-14 में 460575, वर्ष 2014-15 में 510000, वर्ष 2015-16 में 659000 और 2016-17 में 689997 पर्यटक आये हैं. मासिक आंकड़े में जनवरी सबसे आगे है. इस माह यहां 104222 पर्यटक आये. यह वार्षिक रिपोर्ट के आंकड़े अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 तक के हैं.

तेंदुआ ज्योति-प्रकाश की जोड़ी भी होगी आकर्षण का केंद्र

बिरसा जू में तेंदुआ ज्योति-प्रकाश की जोड़ी भी आकर्षण का केंद्र होगी. डॉ अजय ने बताया कि इन दोनों को 13 अप्रैल 2017 को पलामू से लाया गया था. तब दोनों सिर्फ 10 दिन के थे. आंखें तक नहीं खुली थीं. आज लगभग सात माह के हो गये हैं. काफी एक्टिव दोनों की जोड़ी निश्चित रूप से पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करेगी. यहां टाइगर जोड़ी मल्लिका व अनुष्का भी मौजूद हैं.

कहते हैं अधिकारी

भगवान बिरसा जू ने साल दर साल खुद में बदलाव करते हुए विकसित किया है. यहां जिस तरह का वातावरण जानवरों और पक्षियों को मिलता है वह प्राकृतिक जंगल के अनुरूप है. देश में जानवरों को नेचुरल माहौल के लिए यह जू जाना जाता है.

अशोक कुमार, निदेशक बिरसा जू

यहां कई ऐसे जानवर हैं, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. नये साल में लोग कई नये जानवरों से रूबरू होंगे. यह देश का एकमात्र ऐसा जू है, जो ऑस्ट्रिच के प्रजनन के योग्य वातावरण देता है. इस वर्ष यहां आनेवाले सैलानियों को कई बेहतरीन अनुभव होने वाले हैं.

डॉ अजय कुमार सिंह, चिकित्सक बिरसा जू

घूमने का समय

सुबह 9 बजे से शाम 4.30 बजे तक

(15 अक्तूबर से 15 फरवरी)

सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक

(16 फरवरी से 14 अक्तूबर)

अवकाश : प्रत्येक सोमवार

प्रवेश शुल्क

वयस्क : 30 रुपये

बच्चे (तीन से 12 वर्ष के): 15 रुपये

ग्रुप टिकट (25 से अधिक की संख्या)

प्रति वयस्क : 20 रुपये

प्रति बच्चे : 10 रुपये

फोटोग्राफी

स्टील कैमरा : 10 रुपया

वीडियो कैमरा (पारिवारिक उपयोग वाला) : 150 रुपया

मूवी कैमरा (कॉमर्शियल यूज वाला): 500 रुपया

विज्ञापन व फिल्म निर्माण : 1500 रुपया

पार्किंग

बस : 30 रुपये

कार/ जीप : 20 रुपये

टू व्हीलर : 10 रुपये

साइकिल : 2 रुपये

Prabhat Khabar Digital Desk
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