प्रतिनिधि, खलारी.
करकट्टा स्थित केडीएच पैच के बंद कोयला खदान में वर्षों से लगी आग से इन दिनों ग्रामीणों में दहशत है. उन्हें क्षेत्र के झरिया न बन जाने का डर सताने लगा है. बंद खदान में बढ़ती आग और आसपास की धरती में बनती बड़ी दरारों से आसपास के लोग भयभीत हैं. वहीं खुले व भूमिगत बंद खदान से निकलने वाले दमघोंटू धुआं और अनजान गैस लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है. इलाकों में दर्जनों बार भू-धंसान जैसी घटनाएं हो चुकी है. करकट्टा के ग्रामीण अनिल कुमार पासवान, रवींद्र राम, विशाल पासवान, अर्जुन नोनिया, सुशील राम, शशि रंजन, पिंटू कुमार, सुनील मुंडा, आनंद कुमार, विश्वामित्र सिंह, रीता देवी, रामप्रवेश चौहान ने कहा कि कभी भी ऐसी स्थिति दोबारा बन सकती है. एक दशक से पूर्व से लोग विस्थापन की आस में नारकीय जीवन के साथ ही जान जोखिम में डाल कर रहने को विविश हैं.दहक रही बंद भूमिगत खदान के ऊपर बसा है करकट्टा
करकट्टा सहित आसपास क्षेत्र के सैकड़ों की तादाद से ज्यादा की आबादी भूमिगत खदान के ऊपर बसा है. जानकारों की माने तो करकट्टा में छह दशक पूर्व चार, पांच और छह नंबर अंडरग्राउंड माइंस चल चुका है और इस इलाकों में जहां की धरती की सतह कमजोर होती है, वहां जमींदोज होकर या भू-धंसान होकर दमघोंटू धुआं और अनजान गैस निकलने लगता है. वहीं आग का दायरा करीब दो किमी वर्ग क्षेत्र में फैली है. दरअसल पूर्व में केडीएच परियोजना द्वारा कोयला खनन कर फेस खुला छोड़ दिया गया, जिससे कोयला का फेस लगातार हवा के संपर्क में है और कोयले में लगी आग फैलते जा रही है.कहीं झरिया न बन जाये खलारी का करकट्टा-विश्रामपुर का क्षेत्र
05 खलारी 03 : करकट्टा स्थित बंद केडीएच खदान में लगी आग को देखते ग्रामीण.
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