सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के साथ ही सरकार ने परंपरागत गांवों, बसाहटों की सीमा के भीतर जो गैर मजरूआ आम, गैर मजरूआ खास, जंगल-झाड़ी, नदी-नाला, सरना, मसना, चरागाह, खेल मैदान व मंदिर जैसे सामुदायिक धरोहर हैं, उसे भूमि बैंक में शामिल कर इसे कॉरपोरेट घरानों को हस्तांतरित करने की योजना बनायी है. यह झारखंड को पूरी तरह कंपनियों के हवाले करने की साजिश है. दयामनी ने कहा कि पशुधन की बिक्री पर रोक सहित अन्य कानूनों का कृषि व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ व भाजपा के लोग राज्य में सांप्रदायिकता को बढ़ावा दे रहे हैं. इस संबंध में उन्होंने छह प्रस्ताव पेश किये. सम्मेलन का आयोजन जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वयन तथा अन्य राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय संगठनों के तत्वावधान में गोस्सनर थियोलॉजिकल हॉल में किया गया.
विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक, किसान व मजदूर संगठनों से जुड़े नेताअों ने झारखंड तथा राष्ट्रीय प्रस्तावों का समर्थन किया तथा इस संबंध में अपने विचार व्यक्त किये. पूर्व सांसद व भाकपा नेता भुवनेश्वर मेहता ने कहा कि एनडीए की सरकार में जमीन की लूट बढ़ी है. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन ने ग्रामीणों का सुरक्षा कवच सचमुच तोड़ दिया है. श्री मेहता ने कहा कि इस कानून में फिर से संशोधन की कोशिश हुई, तो उलगुलान होगा. जमीन लूट का विरोध करने वाले योगेंद्र साव, उनकी पत्नी व बेटे तथा झाविमो विधायक प्रदीप यादव को सरकार प्रताड़ित कर रही है. यह दमन है. सम्मेलन के दो सत्रों में झारखंड व अखिल भारतीय प्रस्तावों पर विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार व्यक्त किये. सम्मेलन में पर्यावरण संबंधी ग्रीन नोबेल वर्ल्डमैन अवार्ड-2017 के विजेता अोड़िशा के प्रफुल्ल सामंत, अॉल इंडिया यूनियन अॉफ फॉरेस्ट वर्किंग पिपुल की रोमा, गोड्डा के चिंतामणि, राजाराम, किसाम संग्राम समिति असम के अखिल गोराई, केरल के पूर्व एमएलए व सम्मेलन के समन्वयक कृष्णा प्रसाद, किसान संग्राम समिति के राजेंद्र गोप, तड़कन हेरेंज, जेरोम जेराल्ड कुजूर, मधुरेश, कोयल कारो जन संगठन के विजय गुड़िया, पूरन महतो, ग्रीन इंडिया किसान सभा के हनान मूला, भूपेंद्र रावत, पूर्व विधायक विनोद सिंह, माकपा नेता प्रफुल्ल लिंडा, मिंटू पासवान व वासवी किड़ो सहित देश भर में किसान-मजदूर संगठनों से जुड़े नेता मौजूद थे.