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अखिल भारतीय आयोजन: भूमि अधिकार आंदोलन के सम्मेलन में आया प्रस्ताव, सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन रद्द करे सरकार

रांची : भूमि अधिकार आंदोलन का अखिल भारतीय सम्मेलन गुरुवार से शुरू हुआ. दो दिवसीय (29-30 जून) इस सम्मेलन के पहले दिन झारखंड से संबंधित छह तथा राष्ट्रीय स्तर पर अाठ प्रस्ताव पेश किये गये तथा इन पर चर्चा की गयी. इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला ने झारखंड का प्रस्ताव पढ़ते हुए कहा […]

रांची : भूमि अधिकार आंदोलन का अखिल भारतीय सम्मेलन गुरुवार से शुरू हुआ. दो दिवसीय (29-30 जून) इस सम्मेलन के पहले दिन झारखंड से संबंधित छह तथा राष्ट्रीय स्तर पर अाठ प्रस्ताव पेश किये गये तथा इन पर चर्चा की गयी. इस मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला ने झारखंड का प्रस्ताव पढ़ते हुए कहा कि सीएनटी व एसपीटी एक्ट राज्य के किसानों तथा आदिवासी-मूलवासी का सुरक्षा कवच था. इस कानून की धारा 71, 49, 21 तथा 13 में संशोधन कर झारखंड की सरकार ने वह कवच तोड़ दिया है. इसलिए यह संशोधन रद्द होना चाहिए.

सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के साथ ही सरकार ने परंपरागत गांवों, बसाहटों की सीमा के भीतर जो गैर मजरूआ आम, गैर मजरूआ खास, जंगल-झाड़ी, नदी-नाला, सरना, मसना, चरागाह, खेल मैदान व मंदिर जैसे सामुदायिक धरोहर हैं, उसे भूमि बैंक में शामिल कर इसे कॉरपोरेट घरानों को हस्तांतरित करने की योजना बनायी है. यह झारखंड को पूरी तरह कंपनियों के हवाले करने की साजिश है. दयामनी ने कहा कि पशुधन की बिक्री पर रोक सहित अन्य कानूनों का कृषि व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ व भाजपा के लोग राज्य में सांप्रदायिकता को बढ़ावा दे रहे हैं. इस संबंध में उन्होंने छह प्रस्ताव पेश किये. सम्मेलन का आयोजन जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वयन तथा अन्य राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय संगठनों के तत्वावधान में गोस्सनर थियोलॉजिकल हॉल में किया गया.

विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक, किसान व मजदूर संगठनों से जुड़े नेताअों ने झारखंड तथा राष्ट्रीय प्रस्तावों का समर्थन किया तथा इस संबंध में अपने विचार व्यक्त किये. पूर्व सांसद व भाकपा नेता भुवनेश्वर मेहता ने कहा कि एनडीए की सरकार में जमीन की लूट बढ़ी है. सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन ने ग्रामीणों का सुरक्षा कवच सचमुच तोड़ दिया है. श्री मेहता ने कहा कि इस कानून में फिर से संशोधन की कोशिश हुई, तो उलगुलान होगा. जमीन लूट का विरोध करने वाले योगेंद्र साव, उनकी पत्नी व बेटे तथा झाविमो विधायक प्रदीप यादव को सरकार प्रताड़ित कर रही है. यह दमन है. सम्मेलन के दो सत्रों में झारखंड व अखिल भारतीय प्रस्तावों पर विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार व्यक्त किये. सम्मेलन में पर्यावरण संबंधी ग्रीन नोबेल वर्ल्डमैन अवार्ड-2017 के विजेता अोड़िशा के प्रफुल्ल सामंत, अॉल इंडिया यूनियन अॉफ फॉरेस्ट वर्किंग पिपुल की रोमा, गोड्डा के चिंतामणि, राजाराम, किसाम संग्राम समिति असम के अखिल गोराई, केरल के पूर्व एमएलए व सम्मेलन के समन्वयक कृष्णा प्रसाद, किसान संग्राम समिति के राजेंद्र गोप, तड़कन हेरेंज, जेरोम जेराल्ड कुजूर, मधुरेश, कोयल कारो जन संगठन के विजय गुड़िया, पूरन महतो, ग्रीन इंडिया किसान सभा के हनान मूला, भूपेंद्र रावत, पूर्व विधायक विनोद सिंह, माकपा नेता प्रफुल्ल लिंडा, मिंटू पासवान व वासवी किड़ो सहित देश भर में किसान-मजदूर संगठनों से जुड़े नेता मौजूद थे.
प्रस्ताव पर चर्चा में वक्ताओं ने कहा
1. जमीन का आंदोलन हर राज्य में 2. संताल (प्रदीप यादव) के मुद्दे पर जनसंगठनों को आंदोलन करना चाहिए 3. झारखंड में पांचवीं अनुसूची का कोई अर्थ नहीं है 4. किसी डैम में मछली मारने का अधिकार स्थानीय लोगों को मिले 5. किसानों व मजदूरों पर हो रहे जुल्म के कारण हमलोग एक साथ खड़े हैं.
भविष्य की योजना का राष्ट्रीय प्रस्ताव
नीति आयोग के समक्ष तीन जुलाई को आहूत किसान महासंघर्ष समिति के धरना में भागीदारी व समर्थन
छह जुलाई को मंदसौर से नयी दिल्ली तक आयोजित किसान मुक्ति मार्च में भागीदारी व समर्थन
जुलाई को जंतर-मंतर पर किसान मार्च
नौ अगस्त 2017 को सभी जिलों में किसान रैली
मुआवजा, पुनर्वास व पुनर्स्थापन की व्यवस्था किये बगैर नर्मदा घाटी से करीब 40 हजार परिवारों को हटाये जाने के खिलाफ भविष्य की कार्रवाई के लिए मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र व गुजरात के कार्यकर्ताअों के सम्मेलन का आयोजन.
संघर्ष के समर्थन में अभियान सामग्री का प्रकाशन
भविष्य की कार्रवाइयों की कार्यदिशा तय करने के लिए एकजुटता के साथ सभी किसान संगठनों व सामाजिक संगठनों का अखिल भारतीय सम्मेलन आयोजित करना तथा प्रधानमंत्री को चार साझा मांगों का ज्ञापन सौंपना. इन मांगों में एमएस स्वामीनाथन की सिफारिशों के आधार पर सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) इसके उत्पादन लागत से 50 फीसदी अधिक तय करना तथा खरीद केंद्रों की गारंटी देना, किसानों की समग्र कर्ज माफी, मवेशी बाजार में मवेशियों की बिक्री पर रोक संबंधी अधिसूचना वापस लेना तथा कृषि के साथ मनरेगा को जोड़ते हुए इनका क्रियान्वयन करना शामिल है.

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