समस्याओं के समाधान की मांग की पतरातू.पीटीपीएस को कभी पूर्व-उत्तर भारत का बड़ा पावर स्टेशन होने का गौरव प्राप्त था. पर आज यह अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. अभी भी यहां लगभग 700 पदाधिकारी-कर्मचारी व सैकड़ों मजदूर व संवेदक कार्यरत हैं. इनके द्वारा प्लांट से 125 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जा रहा है. किंतु यहां के कर्मियों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. उक्त बातें झारखंड स्टेट इलेक्ट्रिक सप्लाई वर्कर्स यूनियन के परियोजना सचिव सत्यनारायण साह ने कही. उन्होंने कहा कि पीटीपीएस चिकित्सालय में चिकित्सक नहीं हैं और यहां प्राथमिक उपचार की भी व्यवस्था नहीं उपलब्ध है. ऐसे में यहां के कर्मी, मजदूर व उनके परिजन भाग्य भरोसे ही अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं. यहां के कर्मियों का कहना है कि वे पहले बिहार राज्य विद्युत बोर्ड, फिर झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड व अब शायद पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के कर्मचारी बन जायेंगे. बार-बार स्वामित्व बदल रहा है और हरेक बार उनका कुछ न कुछ बकाया पुराने स्वामित्व के अंदर रह जाता है. इसका निष्पादन नहीं हो पाता है. अभी भी बिहार राज्य विद्युत बोर्ड के समय का अधिकाल भत्ता, एमएसीपी आदि का विभेद दूर नहीं किया गया है. पदोन्नति के मामले भी लंबित पड़े हैं. उन्होंने कहा कि इन कारणों से कर्मियों, मजदूरों में आक्रोश है. उन्होंने प्रबंधन से समय रहते इन समस्याओं के समाधान की मांग की है.
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पीटीपीएसकर्मियों को नहीं मिल रही है सुविधाएं
समस्याओं के समाधान की मांग की पतरातू.पीटीपीएस को कभी पूर्व-उत्तर भारत का बड़ा पावर स्टेशन होने का गौरव प्राप्त था. पर आज यह अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. अभी भी यहां लगभग 700 पदाधिकारी-कर्मचारी व सैकड़ों मजदूर व संवेदक कार्यरत हैं. इनके द्वारा प्लांट से 125 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जा […]
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