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खेतों में पीला पड़ने लगा है बिचड़ा

कम बारिश से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें, सूखे की आशंका से इंकार नहीं लोहरदगा : जिले में वर्षा की कमी के कारण किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें नजर आने लगी है. वर्षा नहीं होने से धान की खेती पिछड़ रही है. लोहरदगा जिला में यदि 15 दिनों की स्थिति पर […]

कम बारिश से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें, सूखे की आशंका से इंकार नहीं

लोहरदगा : जिले में वर्षा की कमी के कारण किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें नजर आने लगी है. वर्षा नहीं होने से धान की खेती पिछड़ रही है. लोहरदगा जिला में यदि 15 दिनों की स्थिति पर नजर डालें तो स्थिति चिंताजनक है.
एक जुलाई को लोहरदगा में बारिश नहीं हुई, दो जुलाई को 12 मिमी बारिश हुई, तीन को 21.2 मिमी बरसात हुई, चार को चार मिमी बारिश हुई. पांच को बारिश नहीं हुई, छह को दो मिमी, सात को 44 मिमी, आठ को पांच मिमी, नौ को 3.8 मिमी, 10 को 9.8 मिमी, 11 को 23.6 मिमी, 12,13,14,15 और 16 जुलाई को पूरे जिले में कहीं बारिश नहीं हुई. लोहरदगा जिला में अब तक 1037.6 मिमी बारिश हुई है.
इससे किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है. किसान आसमान की तरफ टकटकी लगाये बैठे हैं. सही तरीके से अभी तक धान की रोपनी शुरू नहीं हो पायी है. खेतों में लगे बिचड़े पीले पड़ने लगे हैं. किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं इसके बाद वे बिचड़ा डालेंगे. लेकिन बारिश नहीं हो रही है. किसान मनोज मुंडा का कहना है कि जुलाई महीना आधा से ज्यादा गुजर गया लेकिन बारिश पर्याप्त नहीं हुई है.
बिचड़ा तो अब खेतों में ही पीला पड़ने लगा है. यदि जल्द बारिश नहीं हुई तो बिचड़े सूख कर बर्बाद हो जायेंगे. इसी तरह खेत तैयार कर रहे सुबोध उरांव का कहना है कि अब तक खेतों में धान के बिचड़े लग जाने चाहिए थे. लेकिन वर्षा के अभाव में अब विलंब हो रहा है. यदि बारिश नहीं हुई तो सूखे की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है.
इधर कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी भी विलंब नहीं हुआ है. अगर बारिश हो जाती है तो धान की खेती हो जायेगी. किसानों का कहना है कि लोहरदगा जिला में धान की खेती पूरी तरह वर्षा पर ही निर्भर रहती है और जब वर्षा ही नहीं होगी तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि खेती की स्थिति क्या होगी.

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