बीमारियों के बदलते स्वरूप के अनुसार शोध की रफ्तार तेज करने की जरूरत : प्राचार्य
Jamshedpur News :
डिमना रोड स्थित एमजीएम मेडिकल कॉलेज में सोमवार को मल्टी-डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट (एमआरयू) की बैठक प्राचार्य डॉ. दिवाकर हांसदा की अध्यक्षता में हुई. बैठक में शोध को बढ़ावा देने के लिए दिशा-निर्देश जारी किये गये. प्राचार्य ने कहा कि बीमारियां तेजी से रूप बदल रही है, ऐसे में उनकी रोकथाम के लिए शोध कार्य की रफ्तार भी तेज होनी चाहिए. फिलहाल कॉलेज में आठ गंभीर बीमारियों पर शोध चल रहा है, जिनमें कुछ अंतिम चरण में हैं. एमजीएम में संचालित एमआरयू, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के दिशा-निर्देशों का पालन करती है. शोध कार्यों का आकलन करने के लिए आइसीएमआर की दो सदस्यीय टीम- (डॉ. शांतनु सेन और डॉ. शुभाशीष सरकार) कॉलेज पहुंची. टीम मंगलवार को विभागाध्यक्षों के साथ बैठक कर शोध कार्यों की समीक्षा करेगी. बैठक में को-नोडल पदाधिकारी डॉ. महेश गोयल, नोडल पदाधिकारी डॉ. उमाशंकर सिंह, डॉ. जुझार मांझी सहित अन्य चिकित्सक उपस्थित थे.शोध कार्य में शामिल विशेषज्ञ और उनके विषय
डॉ. एसएल मुर्मू : एनआइसीयू में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर के जोखिम कारकों का अध्ययन.डॉ. वनिता नैंसी खलखो : कुपोषित बच्चों में सूक्ष्म पोषक तत्वों और नेत्र संबंधी रुग्णता का आकलन.
डॉ. इला झा : पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) में एंटी-मुलेरियन हार्मोन की भूमिका का अध्ययन.डॉ. स्वाति सिंह : क्रोनिक सिजोफ्रेनिया रोगियों में मेलाटोनिन हार्मोन की भूमिका का अध्ययन.
डॉ. निहार टोपनो : मौखिक सबम्यूकोस फाइब्रोसिस में सीरम ट्यूमर मार्करों का आकलन.डॉ. विभाष चंद्रा : रजोनिवृत्त महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस के मूल्यांकन पर शोध.
डॉ. सीमा कुमारी : थैलेसीमिया मेजर रोगियों में नेत्र संबंधी निष्कर्षों का अध्ययन.डॉ. नितेश कुमार शर्मा : ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस (ओएसएमएफ) रोगियों में विटामिन बी12, सी, ई और आयरन के स्तर का अध्ययन.
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