जमशेदपुर. हिंदू पंचांग के अनुसार जिस दिन भगवान सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन मेष संक्रांति मनाई जाती है. ओडिशा में इसे पणा संक्रांति या महाविषुभ संक्रांति कहा जाता है. ओडिया समाज के लोगों ने सोमवार को अपने आराध्य भगवान श्री जगन्नाथ को पणा का भोग लगा कर पोणा संक्रांति के साथ नये साल का स्वागत किया. साथ ही समाज के घरों में वसुंधरा ठेकी परंपरा निभायी गयी. लोगों ने एक-दूसरे को पणा संक्रांति एवं नये वर्ष की शुभकामनाएं दीं. प्रातःकाल में सूर्योदय के पहले उठकर समाज के लोगों ने नदी व घर पर स्नान किया. भगवान सूर्य की पूजा एवं गायत्री मंत्र का पाठ किया. घरों में दही, छेना, नारियल चूरा, काजू किसमिस, चेरी, केला, सेब, अनार, जलाए हुए आम का रस तथा मसाले के रूप में अदरक, छोटी इलायची और गोलकी से पणा बनाया. पणा को पहले भगवान को अर्पित किया गया. इसके घर के लोगों ने पणा का सेवन किया. गोलमुरी के टुईलाडुंगरी की गायत्री स्वाईं ने बताया कि पणा तैयार होने के बाद सबसे पहले अपने अपने इष्ट देवी-देवताओं को समर्पित कर मां वृंदावती (तुलसी पेड़) पर अर्पित किया. उसके बाद उसे अपने घर के लोगों में तथा आसपास के लोगों के बीच पणा बांटा गया. साकची ह्यूम पाइप रोड के पास रहनेवाली स्नेहलता नायक ने बताया कि आज के दिन घर के लोगों ने पणा का सेवन किया. इसके साथ ही घरों में वसुंधरा ठेकी किया गया. इसमें आंगण में तुलसी के पौधे के ऊपर दोनों और से लकड़ी से स्टैंड बनाते हुए छेद किया हुआ मिट्टी का कलश टांगा गया. इसमें कुश डाल कर ऊपर से पानी डाल कर पूजा की गयी, ताकि तुलसी के पौधे पर बूंद-बूंद पानी गिरता रहे और गर्मी से लोगों को राहत मिले, इसकी कामना की गयी.
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