जमशेदपुर में आग से सुरक्षा का सच अशोक झा , जमशेदपुर जमशेदपुर शहर में आग से सुरक्षा का सच यह है कि अधिकतर लोगों के ऊपर खतरा मंडरा रहा है. शहर के ज्यादातर अपार्टमेंट, अस्पताल, होटल, मॉल, स्कूल, ऑफिस, पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी और सरकारी भवनों में काम करने वाले लोग मौत के साये में काम कर रहे हैं. इसका कारण बिना अग्निशमन विभाग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी ) लिये ही स्कूल, प्रतिष्ठान, मॉल, होटल, पेट्रोल पंप, गैस गोदाम, सरकारी भवनों का संचालन होना है. अगर भविष्य में आगजनी की घटना होती है तो बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है. लोगों की जान आफत में पड़ सकती है. पर हादसों से से आम जनता पूरी तरह अनजान हैं. गोलमुरी अग्निशमन विभाग के प्रभारी मंगल उरांव ने बताया कि शहर में बिना अग्निशमन विभाग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी ) लिये ही अधिकतर प्रतिष्ठानों का संचालन हो रहा है. शहर के कोने-कोने में कई पेट्रोल पंप हैं. पहली बार खोलने के दौरान मिली फायर एनओसी पर शहर के पेट्रोल पंप, गैस गोदामों का संचालन हो रहा है. झारखंड में फायर सर्विस एक्ट लागू नहीं झारखंड में फायर सर्विस एक्ट लागू नहीं है. अधिकारियों के पास न तो औचक निरीक्षण और ना ही कार्रवाई का अधिकार है. ऐसे में नगर निकाय, विभिन्न बोर्डों से मान्यता प्राप्त स्कूल, तेल कंपनियों से पेट्रोल पंप संचालकों से अगर फायर विभाग से एनओसी मांगती है, तो संबंधित स्कूल, प्रतिष्ठान, मॉल, होटल, पेट्रोल पंप, गैस गोदाम संचालक अग्निशमन विभाग के पास आवेदन करते हैं. पहले उन्हें अग्निशमन विभाग से फायर संबंधी एडवाइजरी मिलती है. नियमों का पालन होने पर ही एनओसी मिलता है. लेकिन विभाग फायर एडवाइजरी लेकर ही छोड़ देता है. जो एनओसी लेते हैं. उनके यहां न तो विभाग के कर्मी जांच के लिए जाते हैं और न लोग फायर विभाग के पास नवीकरण के लिए पहुंचते हैं. नियमों को ताक पर रखकर अपार्टमेंट, होटल, मॉल आदि बिना एनओसी के चल रहे हैं. जिसे देखने वाला कोई नहीं है. भगवान भरोसे चल रहा अग्निशमन विभाग गोलमुरी, आदित्यपुर, मानगो, घाटशिला अग्निशमन विभाग भी भगवान भरोसे चल रहे हैं. हकीकत यह है कि गोलमुरी केंद्र की ज्यादातर गाड़ियां 20 से 25 साल पुरानी हैं. जो आये दिन खराब रहती हैं. जिसकी क्षमता 40 से 45 फीट ऊंची इमारत तक ही आग बुझाने की है. जमशेदपुर में सर्विस प्वाइंट तक नहीं है. जबकि शहर में मल्टी स्टोरी बिल्डिंग, बड़े- बड़े अपार्टमेंट, मॉल आदि का निर्माण तेजी से हो रहा है. अधिकतर भवनों में फायर सेफ्टी संसाधन तक नहीं है. बिल्डिंग बायलॉज में 18 से 20 फीट की सड़क पर जी प्लस टू भवन का नक्शा पास करने का प्रावधान है, लेकिन नियमों की अनदेखी कर आज भी निर्माण जारी है. जबकि कॉम्पलेक्स में आग से बचाव के उपकरणों एवं साधन में अंडरग्राउंड टैंक, ओवरहेड टैंक, वैकल्पिक बिजली व्यवस्था, राइजर, डिलेवरी आउटलेट, होज रील होज, डिलेवरी होज विथ ब्रांच, फायर अलार्म, फायरमैन स्विच, ऑटोमेटिक प्रिरंटलर आदि सबसे जरूरी हैं. लेकिन अधिकांश बिल्डिंगों में यह उपकरण ना के बराबर हैं. 6 की जगह 2 कर्मी जाते हैं आग बुझाने गोलमुरी अग्निशमन विभाग में मैन पावर की स्थिति इससे भी ज्यादा खराब है. एक दमकल की गाड़ी पर छह कर्मचारी जरूरी हैं. इसमें एक चालक सह हेड लीडिंग फायरमैन, एक हवलदार (हेड लीडिंग फायरमैन) और चार फायरमैन (सिपाही) होना अनिवार्य है. लेकिन गोलमुरी केंद्र से दमकल में मात्र दो कर्मचारी आग बुझाने जाते हैं. ड्राइवर ही फायरमैन का काम करते हैं. इसी से आप गोलमुरी केंद्र की क्षमता का अंदाज लगा सकते हैं. एक प्रभारी, एक चालक, चार फायरमैन और एक हवलदार के भरोसे केंद्र चल रहा है. जिससे कर्मचारियों को 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात रहना पड़ता है. अगर कहीं कोई हादसा हो जाये तो स्थिति संभालना मुश्किल हो जायेगा. क्या है एनओसी लेने का नियम फायर का एनओसी लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है. सभी पेपर, फाॅर्म अपलोड करने के बाद मुख्यालय से संबंधित स्टेशन को उक्त संस्थान पर जाकर स्थल निरीक्षण करते हैं. जांच के दौरान खामियों को चिह्नित कर संस्थान प्रबंधन को जानकारी देने के बाद फायर से संबंधित सभी इक्यूवमेंट को इंस्टाॅल करने का आदेश देता है. सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद फायर स्टेशन प्रभारी फिर से निरीक्षण कर रिपोर्ट को मुख्यालय भेजते हैं. सभी बिंदु सही होने पर ही एनओसी के लिए अप्लाई करने का आदेश दिया जाता है.
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आपके ऊपर भी मंडरा रहा खतरा, आग लगी तो बचाने वाले होंगे सिर्फ भगवान
The truth about fire safety in Jamshedpur, danger is looming over you too,
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