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अभी तक तीन वर्षीय बच्ची का सिर नहीं खोज पायी पुलिस न्याय के लिए आक्रोशित हैं लोग, देशभर में उठ रही आवाज

जमशेदपुर : टाटानगर स्टेशन से तीन साल की बच्ची का अपहरण के बाद दुष्कर्म और हत्या के मामले में जीआरपी और आरपीएफ तथा बर्मामाइंस पुलिस की लापरवाही सामने आयी है. सूचना मिलने के बावजूद कार्रवाई में विलंब के कारण आरोपी बच्ची को लेकर जाने में सफल रहा. हत्या के 10 दिन बाद भी तीन लोगों […]

जमशेदपुर : टाटानगर स्टेशन से तीन साल की बच्ची का अपहरण के बाद दुष्कर्म और हत्या के मामले में जीआरपी और आरपीएफ तथा बर्मामाइंस पुलिस की लापरवाही सामने आयी है. सूचना मिलने के बावजूद कार्रवाई में विलंब के कारण आरोपी बच्ची को लेकर जाने में सफल रहा. हत्या के 10 दिन बाद भी तीन लोगों का गिरफ्तारी के अलावा पुलिस खाली हाथ है. साक्ष्य के नाम पर बच्ची का सिर, कपड़े, गला काटने वाला हथियार, शव फेंकने के इस्तेमाल में लाया गया झोला आदि की बरामदगी पुलिस नहीं कर सकी है.

टेल्को रामाधीन बगान स्थित तार कंपनी बाउंड्री वाल के समीप झाड़ी में शव बरादमगी के स्थल पर खून के दाग नहीं मिलने से यह स्पष्ट है कि हत्या कहीं और हुई और शव वहां लाकर फेंका गया. हत्या कहां हुई यह भी पता लगाने में पुलिस विफल रही है. घटना के बाद तीन लोगों की गिरफ्तारी दिखाकर भले ही रेल पुलिस ने हत्याकांड का खुलासा करने का दावा किया है. बावजूद यह गुत्थी उलझी हुई है.
साक्ष्य नहीं होने से आरोपियों को कोर्ट से जमानत मिल सकती है, जो पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है. यह माना जा रहा है कि रेल पुलिस और आरपीएफ की लापरवाही ही बड़ी घटना का कारण बनी है. अगर दोनों एजेंसियों ने सक्रियता दिखायी होती, तो बच्ची को समय रहते बरामद किया जा सकता था.
डीएनए टेस्ट के लिए भी प्रक्रिया शुरू
अनुसंधान पदाधिकारी चंद्रभूषण शर्मा के मुताबिक तीन वर्षीय बच्ची के शव की शिनाख्त को लेकर उठे सवालों के मद्देनजर शव के नमूने, बच्ची के मां के नमूने व पिता के खून के नमूने का डीएनए टेस्ट करवाने के लिए कागजी अौपचारिता पूरी कर ली गयी है. विभाग से डीएनए टेस्ट के अनुमति मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी.
हर स्तर पर दिखी लापरवाही
25 जुलाई रात 11.40 बजे प्लेटफॉर्म से बच्ची के लापता होने के एक घंटे के भीतर बच्ची का मां ने शिकायत टाटा रेल थाना पहुंचकर की, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. पुलिस बच्ची की तलाश छोड़कर मां व उसके साथ पकड़े गये युवक तक सिमटी रही. स्टेशन पर तैनात रेल और आरपीएफ के पदाधिकारी व जवान ने त्वरित कार्रवाई की होती तो बच्ची को बरामद किया जा सकता था.
आरोपी रिंकू साहू बच्ची को गोद में लेकर प्लेटफॉर्म के रास्ते स्टेशन सेकेंड इंट्री गेट की ओर से अवैध रूप से बाहर निकला. यहां आरपीएफ की तैनाती होती है. लेकिन किसी ने मामले को संदिग्ध मानकर जांच व पूछताछ की जहमत नहीं उठायी.
स्टेशन से बाहर रिंकू बच्ची को लेकर बर्मामाइंस होता हुआ गया, लेकिन बर्मामाइंस पुलिस की गश्ती जीप अथवा किसी ने उसे रोककर पूछताछ नहीं की. बर्मामाइंस पुलिस की सक्रियता भी सवालों में है.
प्रभात खबर में ‘बच्ची से दुष्कर्म के बाद हत्या’ विषय पर परिचर्चा में महिलाओं ने कहा – हर मां की इच्छा है दोषियों को फांसी हो
जमशेदपुर : 25 जुलाई को टाटानगर स्टेशन से तीन साल की बच्ची को अगवा कर दुष्कर्म के बाद गला रेतकर हत्या की घटना पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है. चारों ओर से दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग उठ रही है.
निर्भया कांड के बाद महिलाअों की सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाये गये. लेकिन इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने वाले कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं. बॉलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा ने गुरुवार को ट्विटर पर जमशेदपुर में हुई घटना की कड़ी निंदा की.
रविवार को प्रभात खबर की ओर से इस घटना को लेकर अलग-अलग क्षेत्र की महिलाअों के बीच परिचर्चा का आयोजन किया गया. काशीडीह प्रभात खबर कार्यालय में हुई इस परिचर्चा में शामिल महिलाअों ने घटना ने न सिर्फ इस घटना की कड़ी निंदा की,बल्कि दोषी को फांसी की सजा देने की मांग की. सभी ने पीड़ित परिवार के साथ खड़े होने और दोषी को सजा दिलाने में योगदान का निर्णय लिया.
महिलाअों ने उठाया सवाल, रखी मांग
ऐसे मामले की फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हो
पीड़िता के घर वालों को सनहा दर्ज कराने में परेशानी क्यों हुई? समय रहते बच्ची की तलाश क्यों नहीं की गयी? इन बातों को गंभीरता से लिया जाये अौर पुलिस की भूमिका की भी जांच हो.
तीन साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म होना समाज की हीनता अौर कमजोरी को दर्शाता है.
ऐसी घटना को अंजाम देने वालों के खिलाफ
बिना बेल, डेट के सजा पर सुनवाई हो.
इनकी सजा सिर्फ अौर सिर्फ फांसी होनी चाहिए.
जीरो एफआइआर का नियम है. थाना को अपनी जिम्मेदारी समझनी है. यह पहली घटना नहीं है, मिसिंग का केस लेने में थाना हमेशा ही अपनी जिम्मेदारी से भाग खड़ा होता है.
पीड़िता के अभिभावक व अन्य परिचित जब थाने जाते हैं तो थाना प्रभारी व अन्य ऑफिसर केस दर्ज करना तो दूर, उनसे सीधे मुंह बात तक नहीं करते. फिर कानून क्या दिखावा के लिए बनाया गया है?
शहर के हर चौराहे पर सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है. ताकि ऐसी घटनाओं का तुरंत पता लग सके. फिर ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं?
दुष्कर्म मामले के लिए अलग कोर्ट, थाना बने. जहां सिर्फ महिला पदाधिकारी हों. साथ ही उचित प्रमाण के साथ दोषी को कड़ी से कड़ी सजा देने का प्रावधान हो.
तीनों अरोपियों को तीन दिनों की रिमांड पर लिया
जमशेदपुर. बच्ची का सिर, हथियार, कपड़े, झोला आदि साक्ष्य बरामदगी के लिए रेल पुलिस ने आरोपी मोनू मंडल उर्फ मोहम्मद शेख, रिंकू साव, कैलाश कुमार को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है. कोर्ट से तीन दिनों की रिमांड मिली है. पूछताछ के लिए स्वयं डीएसपी, अनुसंधान पदाधिकारी घंटों रविवार को जुटे रहे.
आरोपी की मां भी बेटे का बचाव कर रही हैं. जबकि वो जानती हैं कि उनका बेटा पहले भी इस तरह की घटना को अंजाम दे चुका है. बेटा हो या बेटी संस्कार दोनों को दें. एेसे दोषियों को तुरंत सजा मिले. ताकि एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सके.
सरिता मिश्रा, समाजसेवी
देश का कानून कमजोर है. तभी तो पुराने मामलों में आरोपी को जमानत मिल गयी थी, यह भी सोचने वाली बात है. एक तरफ महिलाअों के लिए कानून बन रहे हैं अौर दूसरी तरह आरोपियों को जमानत मिल रही है तो यह सरकार का ढोंग ही है.
डॉ अनीता शर्मा, सहायक शिक्षिका उत्क्रमित हाइस्कूल लक्ष्मीनगर
स्कूलों में गुड टच, बैड टच के बारे में बताया जाता है. यह शिक्षा बच्चियों के लिए जितनी जरूरी है, उतनी ही बच्चों के लिए भी है. कोई भी व्यक्ति बेटी के साथ गलत व्यवहार करता है तो उसके खिलाफ आवाज उठाने की पहली जिम्मेदारी मां की है.
डॉ प्रीति किरण, रजिस्ट्रार, एसडीएसएम स्कूल
मिसिंग की शिकायत पर थाना की सक्रियता जरूरी थी. सीसीटीवी कैमरा सुरक्षा के लिए लगाया गया है या अपराध को बढ़ावा देने के लिए, इन सवालों पर स्पष्टीकरण जरूरी है. हर दिन फुटेज की जांच नहीं की जाती. अगर फुटेज पर पुलिस ध्यान देती, तो ऐसा नहीं होता.
कंचन मिश्रा, अधिवक्ता

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