5हैज2में- गणेश कुमार सीटू हजारीबाग. केंद्र सरकार मौजूदा पेंशनर्स के भविष्य के बारे में फैसला करने के लिए वित्त विधेयक के माध्यम से संसद में ली गयी वैलिडेशन अथॉरिटी का फायदा उठा रही है. मोदी सरकार केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के प्रति उदासीनता रवैया अपना रही है. उक्त बातें सीआईटीयू के सहायक जिला सचिव गणेश कुमार सीटू ने बुधवार को कही. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने तीन नवंबर 2025 को 8वें केन्द्रीय वेतन आयोग पर गजट नोटिफिकेशन प्रकाशित किया. सरकार द्वारा 8वें केंद्रीय वेतन आयोग को दिये गये टर्म्स ऑफ रेफरेंस को देखने पर पता चलता है कि यह मौजूदा सरकार की कामकाजी और बुजुर्ग पेंशनर्स के प्रति उदासीन रवैया अपना रही है. टर्म्स ऑफ रेफरेंस इतना प्रतिबंधात्मक है कि 8वां केंद्रीय वेतन आयोग कर्मचारियों के लिए जरूरत के हिसाब से एक सम्मानजनक जीवन जीने लायक वेतन की सिफारिश नहीं कर सकता. केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को दिये जाने वाले वेतन, भत्ते और अलाउंस में कोई उचित बढ़ोत्तरी की सिफारिश कमेटी को नहीं करनी चाहिए. संसद में फाइनांस बिल पास होने के बाद केन्द्र सरकार ने मौजूदा पेंशनर्स की पेंशन रिवाइज करने या नहीं करने का अधिकार अपने हाथ में ले लिया है. सरकार ने लगभग 70 लाख मौजूदा पेंशनर्स और फैमिली पेंशनर्स को 8वें केन्द्रीय वेतन आयोग के दायरे से बाहर रखा है. इससे यह पता चलता है एक जनवरी 2026 से पेंशन में कोई रिवीजन नहीं होगा. सीआईटीयू मोदी सरकार के इस कर्मचारी विरोधी और पेंशनर विरोधी रवैये की घोर निंदा करती है.
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