95 साल पुराना है बड़कागांव दुर्गापूजा का इतिहास 19बीजी1 में- बड़कागांव स्थित दुर्गा मंदिर में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमाबड़कागांव. कर्णपुरा क्षेत्र में दुर्गापूजा का सबसे भव्य आयोजन बड़कागांव प्रखंड मुख्यालय स्थित डेली मार्केट में होता है. यहां के दुर्गापूजा का इतिहास 95 साल पुराना है. 1934 में हैजा बीमारी बड़कागांव व केरेडारी प्रखंड में फैला हुआ था. हर रोज घंटे दर घंटे में हैजा रोग से लोग मरने लगे थे. पूर्व मुखिया बालकृष्ण महतो ने बताया कि जब केवल महतो की मृत्यु हो गयी तो नेतलाल महतो को माता दुर्गा का स्वप्न आया. कुंजल रविदास को भी सपना आया कि दुर्गा पाठ करने से हैजा रोग खत्म होगा. तब नेतलाल महतो के नेतृत्व में अश्विनी दुर्गापूजा समिति का गठन किया गया. दुर्गापूजा अक्तूबर 1934 में शुरू की गयी. उस समय खपरैल का दुर्गा मंदिर बनाया गया था. बड़कागांव व केरेडारी प्रखंड के 80 मौजों से 4050 बकरे की बलि दी गयी थी. उस समय अंग्रेज भी यहां पूजा करने आते थे. दुर्गा पाठ शुरू होने से हैजा रोग समाप्त हो गया था. तब से बलि की प्रथा शुरू हुई. 1947 से बलि प्रथा खत्म : आजादी की नयी बेला 15 अगस्त 1947 में शुरू हुई. 18 अक्तूबर 1947 को धूपन महतो की अध्यक्षता में बलि प्रथा समाप्त कर दिया गया. हजारीबाग के सेठ राम प्रसाद ने बलि प्रथा को समाप्त करने का आग्रह कमेटी से की थी. तब से वैष्णवी पूजा किया जाने लगा. 1966 में बलि प्रथा शुरू होने वाला था. लेकिन बच्चु महतो, जगदीश महतो, डोमन राम, देवकी राम, प्रयाग राम, हरि मिस्त्री, नरसिंह लाल व पुलिस प्रशासन ने बलि प्रथा को बंद कराया था. अध्यक्षों का कार्यकाल : नेतलाल महतो के बाद धूपन महतो 1947 में अध्यक्ष बने. 1954 से 1978 तक पूर्व मुखिया बाल कृष्ण महतो अध्यक्ष बने. उस समय तीन से चार रुपये खर्च होता था. 1978 से 1993 तक पूर्व विधायक लोकनाथ महतो अध्यक्ष रहें. 1993 के बाद से 2009 तक शशि कुमार मेहता बने. 2011-2015 में पुन: शशि कुमार मेहता अध्यक्ष बने. शशि कुमार मेहता के नेतृत्व में इस वर्ष पूजा शांतिपूर्वक की जा रही है.
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95 साल पुराना है बड़कागांव दुर्गापूजा का इतिहास
95 साल पुराना है बड़कागांव दुर्गापूजा का इतिहास 19बीजी1 में- बड़कागांव स्थित दुर्गा मंदिर में स्थापित मां दुर्गा की प्रतिमाबड़कागांव. कर्णपुरा क्षेत्र में दुर्गापूजा का सबसे भव्य आयोजन बड़कागांव प्रखंड मुख्यालय स्थित डेली मार्केट में होता है. यहां के दुर्गापूजा का इतिहास 95 साल पुराना है. 1934 में हैजा बीमारी बड़कागांव व केरेडारी प्रखंड में […]
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