हजारीबाग. हजारीबाग जिले में आयुष्मान भारत योजना से संबंध रखने वाले 20 प्राइवेट अस्पतालों ने पांच मई से मरीजों को आयुष्मान भारत योजना की सेवा देना बंद कर दिया. आयुष्मान से इलाज कराने के लिए प्राइवेट अस्पतालों में पहुंचने वाले मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है. हजारीबाग जिले में करीब सात लाख लोग आयुष्मान भारत योजना से जुड़े हुए हैं. प्राइवेट अस्पतालों ने इसकी नोटिस अस्पताल में चिपका दी है. एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर इंडिया के झारखंड ज्वाइंट सेक्रेटरी हर्ष अजमेरा ने बताया कि इस योजना से प्राइवेट अस्पताल का अलग होने से गरीब परिवारों को सबसे अधिक नुकसान होगा. उन पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि हजारीबाग शहर का एचजेडबी आरोग्यम अस्पताल डायलिसिस की भी सेवा देता है. यहां 71 किडनी मरीज रजिस्टर्ड हैं. सबसे मुश्किल उनकी बढ़ी है जो लगातार इस अस्पताल से डायलिसिस की सेवा लेते आ रहे थे. मरीज को एक डायलिसिस का चार्ज न्यूनतम 1200 और अधिकतम 2400 तक है. आयुष्मान से अभी यहां डायलिसिस बंद कर दिया गया है. अब गरीबों को महीने में 15 से 20 हजार रुपया डायलिसिस के लिए खर्च करना पड़ेगा.
क्यों अलग हुए आयुष्मान योजना से निजी अस्पताल
हर्ष अजमेरा ने बताया कि जुलाई 2024 से आयुष्मान भारत योजना की राशि का भुगतान नहीं हुआ है. हजारीबाग जिले में 40 करोड़ रुपये से अधिक बकाया है. अकेले एचजेडबी आरोग्यम का 3500 आयुष्मान योजना के कार्डधारी के इलाज की राशि बकाया है. राशि बकाया होने से अस्पताल पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है. संचालकों का कहना है कि चिकित्सक और कर्मियों को तीन माह से वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है. इस योजना से इलाज बंद करने के सिवाय और कोई विकल्प हमारे पास नहीं है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है